
किसी भी इलाके को नक्शे के आधार पर ही पहचाना जाता है और सीमाओं को तय करने का यह सबसे सटीक तरीका है।
लोग कैसे किसी इलाके का नक्शा बना लेते हैं यह एक शानदार कला है।
जबसे भारत को पश्चिमी देशों ने पहचाना उनके यात्रियों ने यहां के नक्शे भी तैयार करने लगे।
बंगाल पर ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के कब्जे के बहुत पहले 1640 में, जब बंगाल, बिहार, उड़ीसा और आज के बांग्लादेश की राजधानी राजमहल हुआ करती थी, तब एक यूरोपियन जिसका नाम सबस्टीन मेनरिक था ने राजमहल की यात्रा की थी और उसी ने पश्चिमी जगत को इस इलाके की जानकारी दी थी। तब भारत में शाहजहां का राज था और राजमहल में गवर्नर उसका पुत्र शाहशुजा था।
बाद में ईस्ट इंडिया कंपनी ने जब 1757 में प्लासी की लड़ाई जीती तब उसने बंगाल का सर्वे करना शुरू किया। उसके भौगोलिक विस्तार के लिए यह जरूरी था।
समुद्री नक्शों को बनाने में पश्चिम के लोग तो माहिर होते ही थे, उन्होंने साम्राज्य विस्तार के लिए जमीनी नक्शे भी बनाने शुरू किए।
ऐसा कहा जाता है कि मराठों को अपार शक्ति होने के बावजूद वे भारत के भौगोलिक क्षेत्र से अनजान थे अन्यथा अंग्रेजों की जगह वे ही भारत की सत्ता संभालते!
राजमहल चुंकि बंगाल का केंद्र था अतः 1764 में जब ईस्ट इंडिया कंपनी ने बक्सर की लड़ाई जीती तब उसने राजमहल का नक्शा बनाना शुरू किया।
रिचर्ड -डी-ग्लॉस और कार्टर ने क्रमशः 1766 और 1770 में इस इलाके का दौरा किया और उन्होंने जो नक्शा तैयार किया उसे मैप ऑफ दि साउथ ईस्ट बिहार-1773 कहा जाता है। इस नक्शे को 1779 में बंगाल एटलस -2 में प्रकाशित किया गया था। इसी में राजमहल को पहली बार एक जिले के रूप में दिखाया गया था जिसमें पूर्णिया और मालदा के कुछ हिस्से भी शामिल थे।
(विशेष जानकारी के लिए डॉ ब्रजेश वर्मा की हाल ही में प्रकाशित पुस्तक “राजमहल”पढ़ें)
फोटो साभार गूगल ?