जॉन हावेल्स  (1711-1798) उन भाग्यशालियों में से एक था जो 1757 के ब्लैक होल की कथित घटना में जिंदा बच गया था और फिर 1760 में अस्थाई रूप से ईस्ट इंडिया कंपनी का बंगाल का गवर्नर भी रहा।
उसका दाबा था कि पेशवा बालाजी राव (1720-1761) ने जब 1743 में भागलपुर-कहलगाँव के रास्ते बंगाल पर अपने 40 हजार घुड़सवारों के साथ आक्रमण किया था तब उन्होंने कहलगाँव के एक व्यक्ति ददन सिंह को रास्ता बताने के लिए एक लाख रुपये का इनाम दिया था। ददन सिंह उन दिनों मनिहारी का एक चौकीदार था।
यह घटना बड़ा ही विवादस्पद रहा जब ईस्ट इंडिया कंपनी बंगाल की सत्ता में आई। गवर्नर जनरल वारेन हेस्टिंग्स (1732-1818) ने मेजर ब्राउन को राजमहल के जंगलतारी इलाके, जिसमें राजमहल-भागलपुर तथा हवेली खड़गपुर का भी इलाका आता था, का इंचार्ज बनाकर 1774 में भेजा।
मेजर ब्राऊन जो 1774 से 1778 तक इस इलाके का सैनिक इंचार्ज रहा ने 1788 में एक किताब लिखी जिसका नाम ‘इंडिया ट्रैक्ट्स’ है।
पेशवा बालाजी राव के 1743 में भागलपुर-कहलगाँव के रास्ते बंगाल की तरफ बढ़ने के महज 32 वर्षों के बाद ही मेजर ब्राऊन इस इलाके में था और उसने जॉन हावेल्स के उस दाबे की खोज की जिसमें कहलगाँव के किसी ददन सिंह को पेशवा द्वारा एक लाख रुपए दिए जाने की बात कही गयी थी।
मेजर ब्राऊन ने यह दाबा एकदम गलत पाया जिसकी चर्चा उसने अपनी किताब ‘इंडिया ट्रैक्ट्स’ में की है। मजेदार बात यह है कि इसी नाम की एक किताब हावेल्स की भी है।
मेजर ब्राउन लिखता है कि उसने कहलगाँव में स्थानीय लोगों से बातचीत की और पाया कि वह व्यक्ति, ददन सिंह, जिसे पेशवा ने इतनी बड़ी रकम कथित रूप से दी थी, दरअसल उधवा नाला, जो कि राजमहल में है, के पास गरीबी की हालत में मृत पाया गया था।
मेजर ब्राऊन जो आगे चलकर अपनी सेना का कैप्टन भी रहा, की यह किताब दरअसल एक रिपोर्ट है जिसे  ब्राऊन ने ‘चैयरमेन ऑफ दि डायरेक्टर फ़ॉर दि अफेयर्स ऑफ यूनाइटेड ईस्ट इंडिया कंपनी (जॉन मेटेक्स) तथा गवर्नर जनरल वारेन हेस्टिंग्स को सौंपा था।
इस पुस्तक में ब्राउन ने लिखा कि ‘ इस देश और यहां के लोग हमारे अपने हैं और हम वह देश नहीं बना सकते जो हमारी सरकार को भाए, हमें ऐसी सरकार बनानी चाहिए जो इस देश को पसंद आए।’
मेजर ब्राऊन की इस रिपोर्ट  में ब्रिटिश शासन का भविष्य छुपा हुआ था। वह राजमहल के जंगलतारी इलाके का सैनिक इंचार्ज था जिसे ‘दामिन-ई-कोह’ कहा जाता है जो एक पर्शियन शब्द है जिसका अर्थ ‘स्कर्ट ऑफ दि हिल्स’ होता है।
(विशेष जानकारी के लिए डॉ ब्रजेश वर्मा की हाल में प्रकाशित पुस्तक ‘राजमहल’ पढ़ें)
(फोटो साभार गूगल)

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By lamppost

Dr. Brajesh Verma was born on February 26, 1958, in the Bhagalpur district of Bihar. He has been in the field of journalism since 1987. He has worked as a sub-editor in a Hindi daily, Navbharat Times, and as a senior reporter in Hindustan Times, Patna and Ranchi respectively. Dr. Verma has authored several books including Hindustan Times Ke Saath Mere Din, Pratham Bihari: Deep Narayan Singh (1875–1935), Rashtrawadi Musalman (1885–1934), Muslim Siyaasat, Rajmahal and novels like Humsaya, Bihar – 1911, Rajyashri, Nadira Begum – 1777, Sarkar Babu, Chandana, Gulrukh Begum – 1661, The Second Line of Defence and Bandh Gali.