मेगस्थनीज

मेगस्थनीज की मूल किताब “इंडिका” नहीं मिलती जिसमें राजमहल का जिक्र था

ग्रीक इतिहासकार मेगस्थनीज (350BC-290BC) ने जो किताब ‘इंडिका’ लिखी थी उसकी मूल प्रति नहीं मिलती। इसी पुस्तक में झारखंड के राजमहल में रहने वाले पहाड़िया जनजाति का पहला लिखित वर्णन मिलता है।
तब यह कैसे पता चला कि मेगस्थनीज ने अपनी किताब ‘इंडिका’ में क्या लिखा था?
मेगस्थनीज के बाद यूनान में और भी कई लेखक हुए जिन्होंने अपनी किताबों में ‘इंडिका’ की चर्चा की है।
जिन लेखकों ने मेगस्थनीज की पुस्तक की चर्चा की उनमें से डेओडोरस, सुकीलस, प्लिनी, एरियन और जस्टिन प्रमुख हैं।
इन सारे लेखकों की किताबों का संपादन पहली बार 1887 में जॉन वाटसन मेकक्रिण्डल (1825-1913) ने किया। जॉन वाटसन 1859 में भारत आया था। वह डेवडन कॉलेज, कलकत्ता में प्राचार्य रहा और फिर 1867 से 1880 तक पटना कॉलेज में भी प्रचार्य रहा था। उसके द्वारा किया गया यह अनुवाद प्राचीन मगध की जानकारी का एक मुख्य स्रोत है।
मेगस्थनीज भारत में मगध सम्राट चंद्रगुप्त मौर्य (345 BC-297 BC) के दरवार में यूनान का एक राजदूत था जो चंद्रगुप्त के हाथों सेल्युकस (- मृत्यु 281 BC)  की पराजय के बाद 305 BC में भारत आया था। सेल्युकस खुद सिकंदर (356 BC-323 BC)  का एक सेनापति था जिसने भारत से वापस जाते समय सेल्युकस को यहां अपना प्रतिनिधि बनाया था।
‌ऐसे में मेगस्थनीज की किताब प्राचीन भारत के इतिहास का एक बड़ा स्रोत है और इसी में उसने राजमहल की पहाड़ी श्रृंखलाओं में रहने वाली पहाड़िया लोगों के बारे में पहला लिखित वर्णन किया है। मेगस्थनीज ने पहाड़िया को ‘माल्ली’, जिसका अर्थ मानव होता है, कहकर पुकारा था। अब यही मलेर अथवा सौरिया के नाम से जाने जाते हैं।
‌(फोटो साभार गूगल)

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By lamppost

Dr. Brajesh Verma was born on February 26, 1958, in the Bhagalpur district of Bihar. He has been in the field of journalism since 1987. He has worked as a sub-editor in a Hindi daily, Navbharat Times, and as a senior reporter in Hindustan Times, Patna and Ranchi respectively. Dr. Verma has authored several books including Hindustan Times Ke Saath Mere Din, Pratham Bihari: Deep Narayan Singh (1875–1935), Rashtrawadi Musalman (1885–1934), Muslim Siyaasat, Rajmahal and novels like Humsaya, Bihar – 1911, Rajyashri, Nadira Begum – 1777, Sarkar Babu, Chandana, Gulrukh Begum – 1661, The Second Line of Defence and Bandh Gali.