राय सच्चिदानंद
हिंदी दैनिक हिंदुस्तान के वरिष्ठ पत्रकार, राय सच्चिदानंद के निधन की खबर सुनकर सुबह से ही मन बेचैन है।
दुमका के सबसे पुराने पत्रकाओं में से एक राय साहब के साथ मेरी अनगिनत यादें हैं, जिन्होंने हमेशा मुझे अपने छोटे भाई की तरह समझा।
आज की तारीख में आपको शायद ही कोई ऐसा इंसान मिले जिनके घर हर सुबह दर्जन भर दोस्तों का आना हो, और मजाल है कि कोई भी बिना चाय पीए वापस लौट जाएं। राय साहब के घर हर कोई आते। इनमें से सिर्फ पत्रकार ही नहीं होते, बल्कि राजनीतिक दलों के कार्यकर्ता और समाज के सामान्य लोग भी हुआ करते।
यह एक कभी न खत्म होने वाला सिलसिला था राय साहब के घर पर। उनके परिवार का हर सदस्य हर मेहमान के प्रति इतना प्रेम भाव रखता कि कोई भी व्यक्ति बिना झिझक उनके घर पहुँच सकता था और राय साहब सभी के लिए कुर्सियां बिछा कर स्वागत करते।
मैं अभी बंगलौर में हूँ। सुबह ही राय साहब के गुजर जाने की खबर सोशल मीडिया से मिली और फिर पत्रकार मित्र सुनम सिंह, राजकुमार उपाध्याय और राजेश पांडे से बात हुई।
मैं दुमका में 2004 से रह रहा हूँ जबसे मेरी पोस्टिंग हिंदुस्तान टाइम्स में हुई। हिंदुस्तान और हिंदुस्तान टाइम्स दोनों एक ही ऑर्गनाइजेशन है और इसकी वजह से राय साहब से मेरी दोस्ती मेरे दुमका आने के पहले ही दिन से हो गई।
उनके घर सुबह पहुंचने वालों में से मैं भी एक था। पिछली बार मैं सितम्बर के पहले सप्ताह में उनके घर गया था। तब से दुमका जाना नहीं हुआ।
मित्रों ने बताया कि आज सुबह भी, हर रोज की भांति मित्रगण को उन्होंने अपने घर पर चाय पिलाई, और जब वे लोग लौट गए तो राय साहब अपने घर के अंदर गए और ईश्वर ने उन्हें हम सभी से छीन लिया।
उनका गुजर जाना बेहद ही दुखद है उनके लिए जो उन्हें जानते हैं। ईश्वर उनकी आत्मा को शांति दे और परिवार को साहस।