आरंभिक ब्रिटिश भरत के इतिहास की सबसे मजेदार घटना बंगाल के गवर्नर जनरल वारेन हेस्टिंग्स (1732-1818) और सर फिलिप फ्रांसिस (1740-1818) के बीच हुए द्वंद्व युद्ध की घटना है।
अंग्रेजी और अमेरिकी कोलोनियल इतिहास में बड़े अधिकारियों के बीच द्वंद्व युद्ध का हो जाना आज सबको आश्चर्य में डाल सकता है किंतु उन दिनों यदि कोई किसी को इस युद्ध के लिए ललकारे तो इनकार नहीं किया जा सकता था और इसे कानूनी मान्यता भी प्राप्त थी।
1780 में भारत में हेस्टिंग्स और फ्रांसिस के बीच के अलावा दुनिया का एक सबसे बड़ा द्वंद्व युद्ध 1804 में अमेरिका में हुआ था जिसमें वहां का वित्त मंत्री अलेक्जेंडर हेमिल्टन (-1804) मारा गया था। उसके साथ द्वंद्व युद्ध करने वाला अमेरिका का वाइस प्रेसीडेंट एरोन (1756-1836) था।
भारत के बंगाल में वारेन हेस्टिंग्स के साथ 1780 में सर फिलिप फ्रांसिस के साथ जो द्वंद्व युद्ध हुआ उसमें फ्रांसिस घायल होकर वापस इंग्लैंड लौट गया किन्तु उसने भ्रष्टाचार के जो आरोप हेस्टिंग्स पर लगाए थे उसी के आधार पर ब्रिटिश पार्लियामेंट में हेस्टिंग्स के खिलाफ महाभियोग चला।
बात दरअसल यह थी कि 1773 के रेगुलेटिंग एक्ट के आधार पर बंगाल के गवर्नर जनरल को शासन में सहयोग करने के लिए तीन पार्षद भेजे गए थे। ये तीन पार्षद थे फिलिफ़ फ्रांसिस, जनरल क्लेवरिग और बारन मानसन। इन तीनों की हेस्टिंग्स से नही बनती थी। उस समय ईस्ट इंडिया कंपनी भ्रष्टाचार में लिप्त थी। वारेन हेस्टिंग्स ने एक साल पहले ही बंगाल के गवर्नर जनरल का पद संभाला था।
इन लोगों की आपसी लड़ाई इतनी बढ़ गई कि हेस्टिंग्स और फ्रांसिस के बीच द्वंद्व युद्ध की स्थिति उत्पन्न हो गई और दोनों 1780 में अपने-अपने पिस्तौल लेकर आमने -सामने हो गए। हेस्टिंग्स की गोली फ्रांसिस को लगी और वह बुरी तरह से घायल हो गया।
अब फ्रांसिस को इंग्लैंड भेज दिया गया। इसी बीच दो अन्य पार्षद जनरल क्लेवरिंग और बारन मानसन बीमार हो गए। कलकत्ते की उमस उन्हें रास नही आई। और उन दोनों की मृत्यु हो गई।
अब हेस्टिंग्स राज करने के लिए स्वतंत्र था। उसने लिखा “मेरे विरोधी रोगग्रस्त हो गए, मर गए और भाग गए।”
किन्तु हेस्टिंग्स पर महाभियोग तो चला, लेकिन कुछ नहीं हुआ।
यही था हेस्टिंग्स के बंगाल के शासन में बने रहने का राज और ब्रिटिश पार्लियामेंट का दिखावा!


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