
भारतीय सिनेमा जगत में यदि कोई कलाकार 85 साल की उम्र में भी अभिनय करता है तो वह उस सम्मान का हकदार आप ही आप हो जाता है जो फिल्मी दुनिया का सबसे बड़ा सम्मान होता है।
बात धर्मेंद्र की कर रहे। आज उनका जन्मदिन है।
धर्मेंद्र के बारे में हज़ारों कहानियां खुद उनकी जुबानी और उनके चाहने वालों के द्वारा लिखीं और सुनाई गईं। फिल्मी दर्शकों का एक विशाल वर्ग उन्हें पसंद करता है। वही उनकी जमा पूंजी है। फिर भी उन्हें आज तक दादा साहेब फाल्के अवार्ड से सम्मानित नहीं किया जाना भारतीय सरकार की कुंठित मानसिकता को ही दर्शाता है।
उनके जमाने के लगभग सभी एक्टर खुदा को या तो प्यारे हो गए या फिर उनकी बूढी हड्डियों में खड़े होकर अभिनय करने की अब ताकत नहीं रही, किन्तु धर्मेंद्र को इस कोरोना काल के लॉक डाउन में भी अपने फार्म हाउस में ट्रैक्टर चलाते देखा गया है।
आज जो भी महान कलाकार हिंदी फिल्मी दुनिया में जीवित हैं उनमें दिलीप कुमार को छोड़कर धर्मेंद्र से कोई भी ऊपर नहीं है।
सिनेमा को यदि मनोरंजन का एक साधन माना जाए तो धर्मेंद्र ने लगभग 75 हीरोइनों के साथ काम किया जो शायद ही भविष्य में किसी कलाकार को नसीब हो। यह तो न भूतो न भविष्यन्ति की तरह है!
आप समाज में एक इंसान के जिस किसी भी रूप की कल्पना कर लीजिए और धर्मेंद्र की फिल्में देख लीजिए आपको वहां हर रूप मिल जाएगा।
दुखद बात यह है हमारा समाज आज लेखनी को लेकर इतना नासमझ हो गया है कि उसे अपने पूर्वजों की महानता की कोई जानकारी नहीं है। संसार का कोई भी व्यक्ति अपने पूर्वज के बगौर खड़ा होने की ताकत नहीं रखता क्योंकि इंसान जन्म से एक सबसे कमजोर प्राणी होता है।
हमारी समझ से आज के समाज की सबसे बड़ी गलतफहमी यही है। तो, इस 85 वर्ष में भी सबसे खूबसूरत भारतीय को बधाई और उनके लंबे एवं स्वस्थ जीवन की कामना।