ब्रजेश वर्मा:

दुमका:
  जामताड़ा विधानसभा सीट से भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार सीता सोरेन के बारे में कांग्रेस प्रत्याशी और हेमंत सोरेन की सरकार में ग्रामीण विकास मंत्री रहे इरफान अंसारी द्वारा की गई अभद्र टिप्पणी का असर संथाल परगना की राजनीति पर साफ दिख रहा है।
“इरफान अंसारी कांग्रेस के पूर्व सांसद और मंझे हुए नेता फुरकान अंसारी के पुत्र हैं, जिनके मुंह से किसी महिला के प्रति की गई अभद्र टिप्पणी पूरे कांग्रेस को बदनाम करती है,” यह बात भाजपा महिला मोर्चा की दुमका जिला अध्यक्ष ममता साह ने कही।
इरफान ने अपने एक चुनावी बयान में उस सीता सोरेन को ” रिजेक्टेड माल” कहा, जो सीता सोरेन झारखंड मुक्ति मोर्चा सुप्रीमो शिबू सोरेन की पुत्रवधु हैं। इस घटना पर सीता सोरेन की पुत्री ने सोशल मीडिया पर अपना एक बयान जारी कर इरफान को खरी खोटी सुनाई है। उनका कहना है कि कोई भी पुत्री अपनी मां के प्रति किए गए इस अपमान का सहन नहीं कर सकती।
अब संथाल परगना की चुनावी राजनीति में यह बात कही जा रही है कि आज यदि सीता सोरेन के पति दुर्गा सोरेन जीवित होते तो इरफान अंसारी के साथ क्या सलूक करते इसका अंदाजा कांग्रेस नेताओं को नहीं है! दुर्गा सोरेन ने 2009 के लोकसभा चुनाव के दौरान यू पी ए गठबंधन को न मानते हुए गोड्डा से चुनाव लड़कर इरफान अंसारी के पिता फुरकान अंसारी को पराजित करने में अहम भूमिका निभाई थी। इसका कारण यह था कि फुरकान अंसारी ने शिबू सोरेन के बारे में अनर्गल बयान दिया था।
सबसे बड़ा सवाल यह उठाया जा रहा है कि भले ही सीता सोरेन मुक्ति मोर्चा से अलग होकर भाजपा के साथ चुनाव लड़ रही हो, किंतु है तो वह शिबू सोरेन की बहु और मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और दुमका से झामुमो विधायक बसंत सोरेन की भाभी।
अब भाजपा खेमे से यह आरोप लगाया जा रहा है कि  झारखंड मुक्ति मोर्चा के इन दिग्गज नेताओं ने इरफान अंसारी के एक महिला के प्रति दिए गए बयान पर अपनी चुप्पी क्यों साध रखी है?” यहां तक कि भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने इरफान अंसारी के इस बयान की घोर निंदा करते हुए कहा कि चूंकि इरफान चुनाव हारने जा रहे हैं, इसलिए उनका मानसिक संतुलन बिगड़ गया है।
इस एकमात्र घटना ने जामताड़ा विधानसभा में चुनावी राजनीति की सरगर्मी बढ़ा दी है। हो सकता है कि इरफान अंसारी के समर्थक आगे चलकर उनके बचाव में आएं, किंतु भाजपा अब पूरी ताकत से जामताड़ा में कांग्रेस के खिलाफ इस मुद्दे को उठाना चाहती है।

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By lamppost

Dr. Brajesh Verma was born on February 26, 1958, in the Bhagalpur district of Bihar. He has been in the field of journalism since 1987. He has worked as a sub-editor in a Hindi daily, Navbharat Times, and as a senior reporter in Hindustan Times, Patna and Ranchi respectively. Dr. Verma has authored several books including Hindustan Times Ke Saath Mere Din, Pratham Bihari: Deep Narayan Singh (1875–1935), Rashtrawadi Musalman (1885–1934), Muslim Siyaasat, Rajmahal and novels like Humsaya, Bihar – 1911, Rajyashri, Nadira Begum – 1777, Sarkar Babu, Chandana, Gulrukh Begum – 1661, The Second Line of Defence and Bandh Gali.