रेखा शाह आरबी:-
(व्यंग्य)
शादी ब्याह का सीजन चल रहा है। शादी ब्याह में सिर्फ खाने के ही शौकीन लोगो की ही  धूम नहीं रहती है । एक चीज और है जिसके लिए आजकल हर कोई मरा जा रहा है । जाने कितने मर गए और जाने कितने मरने के लिए तैयार है। लेकिन इसका क्रेज खत्म ही नहीं हो रहा है । और वह है लोगों का सेल्फी के प्रति मोह है ।
लोग शादी विवाह में आजकल जाते हैं तो दूल्हा दुल्हन को बाद में देखते हैं पहले वह जगह देखते हैं, जहां पर सेल्फी अच्छी आ सके।और लोग भर भर कर फोटो सेशन और सेल्फी लेते है। लोग एक  मिनट के लिए शादी ब्याह में आजकल खाना भूल जाते हैं। पुराने और नए रिश्तेदारों से मिलना जुलना भूल जाते हैं। लेकिन सेल्फी लेना और फोटो खींचना बिल्कुल नहीं भूलते हैं।
हर कोई चाहता है कि वह कुछ ऐसी फोटो खींचे कि दोस्तो, सोशल मीडिया पर दिखाकर खूब वाहवाही लूटी जा सके। आम तौर पर  घरो के भीतर वैसी  उतनी सुंदर सजावट ,लाइटिंग नहीं होती है। जितना शादी विवाह के पंडाल और मैरिज हॉल में होती  हैं।
अतः वहा पर जाते ही सेल्फी के भूखे इंसान की अंतरात्मा सेल्फी खीचने पर उतारू हो जाती है । वहां पर सेल्फी लेने और फोटो खींचने की सारी सुविधा रहती है इसलिए  खूब खींचते हैं।सौ दो सौ या कुछ अधिक ही कम का कोई चांस नही  रहता है ।
लेकिन फोटो खींचना और खिंचवाने में कुछ मूलभूत बातों का ध्यान रखना बेहद जरूरी है।
जैसे नेता बनने से पहले कार्यकर्त्ता बनना पड़ता है। उसी प्रकार अच्छे फोटुओ के लिए कुछ बातो को मानना पड़ता है । वरना आपका फोटु सुंदर के बजाय छछूंदर आ जायेगा और हाथ मलते रह जायेगें।और आपकी सेल्फी खींचने में लगाई गई ऊर्जा व्यर्थ चली जाएगी। आप लोगो के तारीफ के पात्र बनते बनते मजाक के पात्र बन जाऐंगे । आपका कॉन्फिडेंस का भूगोल बिगड़ जाएगा।
सबसे पहले तो किसी भी शादी विवाह में जाएं तो अपने से फेयर कलर वालों या अपने से गोरे लोगों के साथ खड़े होकर फोटो बिल्कुल  नहीं खिंचवाना चाहिए। बेकार में हंस के बगल में वनमानुष के जैसे दिखाई देने लगेगे । या कौवा- कबूतर वाला कांबिनेशन बन जाएगा। इसीलिए मुफ्त में किसी को हंस या  कबूतर  बनने का मौका क्यो देना और इज्जत का भी फालूदा करवाना। अतः इनसे दूर रहे  । कहीं फोटु  लगाने में भी आपको  शर्म आयेगा  । इसीलिए शादी ब्याह में फोटो खिंचवाना है तो अपने से सांवले लोगों को पकड़ लीजिए। उसके बाद अपने फोटु की रौनक देखिए।
दूसरा अपने से लंबे लोगों के साथ फोटो नहीं खिंचवाना चाहिए। सामान्य हाइट होने पर भी फोटो में ठिगने नजर आयेंगे  । उससे बचने का यही उपाय है की अपने बराबर के हाइट वाले लोगों के साथ फोटो खिंचवायें।वरना बेकार में ताड़ के बगल में चने के झाड़ जैसे लगने लगेगे । मुझे पूरा यकीन है आप किसी को ताड़ और अपने को चने के झाड़ जैसा बिल्कुल नहीं दिखाना चाहेंगे। तो भलाई इसी में है कि आप अपने से लंबे लोगों से थोड़ी दूरी बनाकर शादी विवाह में फोटु खींचाते समय रहे।

तीसरा पतले लोगों के साथ फोटो नहीं खिंचवाना चाहिए आप भले ही सामान्य कदकाठी के हो ओवर वेट न हो । लेकिन ज्यादा पतले लोगों के साथ फोटो खिंचवाने पर ग्लास के बगल में  आप पतीला जैसे लगेगे। लोग आपका मोटापा ही देखेंगे आपके चेहरे की तरफ नजर नहीं डालेंगे।  यह तो बैठे बिठाये बेज्जती हो जाएगी। तो ज्यादा पतले लोगों से सौ कदम शादी ब्याह में दूर ही रहे। सेल्फी और फोटो का गुणा गणित तो यही कहता है बाकी समय उनसे दोस्ती यारी करने में कोई बुराई नहीं है लेकिन फोटो खिंचवाते समय एकदम गायब हो जाइए।
(फोटो साभार गूगल)
बलिया (यूपी )

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By lamppost

Dr. Brajesh Verma was born on February 26, 1958, in the Bhagalpur district of Bihar. He has been in the field of journalism since 1987. He has worked as a sub-editor in a Hindi daily, Navbharat Times, and as a senior reporter in Hindustan Times, Patna and Ranchi respectively. Dr. Verma has authored several books including Hindustan Times Ke Saath Mere Din, Pratham Bihari: Deep Narayan Singh (1875–1935), Rashtrawadi Musalman (1885–1934), Muslim Siyaasat, Rajmahal and novels like Humsaya, Bihar – 1911, Rajyashri, Nadira Begum – 1777, Sarkar Babu, Chandana, Gulrukh Begum – 1661, The Second Line of Defence and Bandh Gali.