अनुपमा शर्मा


रोगानशेषानपहंसि तुष्टा, रुष्टा तु कामान् सकलानभीष्टान्।त्वामाश्रितानां न विपन्नराणां, त्वामाश्रिता ह्याश्रयतां प्रयान्ति।।
देवी भागवत पुराण में १०८शक्तिपीठ, कालिका पुराण में २६,शिवचरित्र में ५१,दुर्गा सप्तशती व तंत्र चूड़ामणि में इन शक्तिपीठों की संख्या५२ बतायी गयी है। शक्तिपीठों की श्रृंखला में आज नेपाल के पोखरा में स्थित गण्डकी शक्तिपीठ के बारे में बताते हैं।
हिंदू धर्म में 51 प्रसिद्ध शक्ति पीठों में से एक माने जाने वाले मुक्तादयन या मुक्तिनाथ मंदिर को गंडकी शक्ति पीठ के नाम से जाना जाता है। यह नेपाल में गंडकी नदी के स्रोत पर एक पहाड़ी के ऊपर बना है।
हिंदू धर्म में पुराणों में कहा गया है कि कोई भी क्षेत्र जहाँ देवी सती के अंग गिरे हैं, वह एक पवित्र मंदिर बन गया जिसे शक्ति पीठ के रूप में जाना जाता है। ये पवित्र स्थान पूरे भारत में बिखरे हुए हैं, जिनमें देवीपुराण में ऐसे 51 स्थलों का चित्रण है। शक्ति पीठ में जाकर व्यक्ति आध्यात्मिक ऊर्जा से जुड़ सकता है और इसकी चमत्कारी शक्ति से लाभ उठा सकता है।
*देवि त्वं भक्तसुलभे सर्वकार्यविधायिनी।*
*कलौ हि कार्यसिद्धयर्थमुपायं ब्रूहि यत्रतः॥* देव्युवाच
*श्रृणु देव प्रवक्ष्यामि कलौ सर्वेष्टसाधनम्।*
*मया तवैव स्नेहेनाप्यम्बास्तुतिः प्रकाश्यते॥*
यह शक्तिपीठ पोखरा (नेपाल)में गण्डकी नदी के तट पर मुक्तिनाथ मन्दिर के नाम से जाना जाता है। यहाँ माता सती का मस्तक या गण्ड स्थल यानी कनपटी गिरी थी।
हिंदू आस्था के अनुसार, यह कहा जाता है कि माता सती का सिर गंडकी शक्ति पीठ में गिरा था और उन्हें ‘गंडकी चंडी’ के नाम से जाना जाता है, जबकि भगवान शिव को ‘चक्रपाणि’ कहा जाता है।
इस पवित्र शक्ति पीठ की शक्ति हैं गण्डकी चण्डी और शिव ( भैरव) चक्रपाणि हैं। इस शक्तिपीठ में माता सती के दक्षिण गण्ड (कपोल) का निपात हुआ था।।
यह शक्तिपीठ पोखरा से १२५किलोमीटर दूर है।यह मन्दिर पैगोडा आकृति में बना हुआ है। विष्णु पुराण में मुक्तिनाथ मन्दिर के नाम से इसका वर्णन है।
हिंदू वैष्णव श्री मुक्तिनाथ को आठ स्वयंव्य क्षेत्रों में से एक के रूप में मानते हैं, जो पवित्र तीर्थों को दी गई उपाधि है। अन्य सात श्रीरंगम, श्रीमुष्णम, तिरुपति, नैमिषारण्य, थोथाद्री, पुष्कर और बद्रीनाथ हैं। यह मंदिर कद में छोटा हो सकता है लेकिन माप से परे आकर्षक है!
मंदिर अपनी विशिष्ट विशेषता के साथ अलग खड़ा है – बाहरी प्रांगण में 108 बैल चेहरे हैं जहाँ से पानी निकाला जाता है। श्री वैष्णव दिव्य देशम से खींचे गए पवित्र पशकारिणी जल के मार्ग को इसके चारों ओर चलने वाले 108 पाइपों के माध्यम से देखा जा सकता है। ठंडे तापमान में भी, समर्पित अनुयायी यहाँ आध्यात्मिक आंतरिक सफाई के लिए डुबकी लगाते हैं।
जो भी श्रद्धालु गण्डकी नदी में स्नान कर माता के दर्शन करता है वह पाप मुक्त हो सीधा स्वर्ग को जाता है। गण्डकी नदी में शालिग्राम पत्थर बहुत अधिक मात्रा में निकलते हैं।
*या देवीसर्वभूतेषु दयारूपेण संस्थिता ।*
*नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।*
