
रेखा शाह आरबी:
(बलिया, उत्तर प्रदेश):
कल ही तो चतुरंगी जी हांपते कांपते अपनी धर्म पत्नी चंद्रमुखी जी को होली का राशन पानी की भरपूर खरीददारी करवा कर आए थे। पूरी रात खरीदारी करवाने और कर्तव्य पालन पूर्ति के भाव से भर चैन से सोए थे । चलो अब होली कुशल मंगल से मना ली जाएगी। बच्चे खूब प्यार से चमचम और राबड़ी खाएंगे । वरना तो चतुरंगी जी बाजार में सामानों के दाम देखकर हर बार हौल जा रहें थे। जेब में पड़ी हुई रकम से खरीदारी मिलान करते दहल जाते। लेकिन ठीक-ठाक होने पर कुछ संभल भी जाते । लेकिन अंत अंत में कुछ कम पड़ ही गया तो मामला धर्मपत्नी चंद्रमुखी ने संभाल लिया। इसीलिए कहा जाता है की पत्नी अर्धांगिनी है। जहां मोर्चे पर पति हारने लगता है वहां मोर्चा संभाल लेती है। वैसे तो हर समय तलवार लेकर भांजने को तैयार रहती है । लेकिन स्वयं के अलावा किसी मुसीबत को बर्दाश्त नहीं कर पाती है।
पूरी खरीदारी करते समय माल के एसी में भी सतरंगी जी को जबरदस्त तरीके से पसीना आ रहा था । इस बेगैरत महंगाई ने शरीफ आदमी की इज्जत ही उतार कर रख दी है । शरीफ आदमी इज्जत बचाए या जेब बचाए समझ में ही नहीं आता। जबकि एक का उतरना तय है । शरीफ आदमी कोशिश करता है की इज्जत ही बच जाए। जेब का क्या है जेब तो भगवान ने चाहा तो फिर से भर जाएगी। लेकिन कभी-कभी जेब और इज्जत दोनों एक साथ लुट जाती है। और शरीफ आदमी कुछ भी नहीं कर पाता।
सारे सामानों की खरीददारी करके चतुरंगी जी बाहर निकले । उनकी सुंदर सी धर्मपत्नी चंद्रमुखी उन पर बिगड़ पड़ी और बोलने लगी –” यह क्या राशन के थैले को बगल में ऐसे दबाए हो जैसे इसमें सोने चांदी हीरे मोती के जेवरात पड़े हैं.. लोग क्या कहेंगे ढंग से पकड़ लो ” चतुरंगी जी ने सर घूमाकर सारे खरीदारी करते हुए पुरुषों के चेहरे देखे। उनके भी चेहरे पर भी कोई पांच सौ वाट का बल्ब नहीं जल रहा था । उनके भी चेहरे फ्यूज बल्ब के तरह लटके ही हुए थे। अब चतुरंगी जी क्या बताते यह राशन पानी भी सोने के भाव से क्या कम हैं । और पुरुष के जेब पर इतने भारी की उसके चेहरे की सारी शाइनिंग ही छीन ले रहे हैं।
लेकिन होशियार इंसान चतुरंगी जी हमेशा से यह सुनते आए हैं की पत्नी से बीच सड़क पर बहस नहीं करनी चाहिए। क्योंकि पत्नी बहसानंद लेने के लिए सड़क और घर में कोई भेद नहीं करती हैं। इसीलिए सौ वक्ता एक चुप हराए वाला उपाय अपना लिए। लेकिन उनके मन में अपनी पत्नी के बातों से ज्यादा उन बेचारों के लटके हुए चेहरे पर दया आ रही थी। क्या पता किस बेचारे ने कहां-कहां से जुगाड़ किया होगा। आखिरकार एक पुरुष का दर्द एक पुरुष ही तो समझ सकता है। अपना दुख और दूसरे का दुख एक समान रहता है तो अपना दुख कम लगता है।
सारे सामानों को चतुरंगी जी की पत्नी चंद्रमुखी ने किचन में बहुत ही संभाल कर रख दिया । रात को सोने से पहले कुंडी लगा दी ।चतुरंगी जी को सुबह उठने पर प्यास लगी। वह किचन की तरफ गए तो आधे सोए और आधे जगे हुए चतुरंगी जी का पैर न जाने किस पर स्लिप हुआ गिर गए धड़ाम से ध्यान से देखा तो वह तेल था। चतुरंगी जी ने अपनी चंद्रमुखी को आवाज दिए । चंद्रमुखी जी ने आकर मौका मुआयना किया तो पता चला । चूहो ने रिफाइंड तेल के पैकेट को ही काट दिया । वही तेल बहकर फर्श पर गिरा हुआ था ।जिस पर चतुरंगी जी फिसल गए।
जब चतुरंगी जी ने यह सुना की चूहों ने रिफाइंड तेल की पैकेट को काट दिया है। उनका कलेजा धक से रह गया। गिरने का उतना अफसोस नहीं हुआ जितना रिफाइंड तेल के बह जाने का अफसोस हो रहा था । सबसे पहले तो अपनी सुंदर सी पत्नी चंद्रमुखी पर गुस्सा आया। भड़कते हुए बोले-” तुम्हें किचन का दरवाजा अच्छे से बंद करना चाहिए था देखो तो चूहों ने कितना बड़ा नुकसान कर दिया” चंद्रमुखी तो चंद्रमुखी थी चमकते हुए बोली-” मैं तो रात को उठी ही नहीं जरूर यह आपकी लायक औलादे का काम है”।
चतुरंगी जी का चेहरा ही उतर गया कि फिर से एक खर्चा उनके सिर पर आ गया । लेकिन कहा जाता है कि जब दुनिया साथ छोड़ देती है तब चाहे लाख पत्नी खराब रहे।साथ देती है । फिर से एक बार पत्नी ने साथ दिया और बोली -“यह लीजिए पैसे और फिर से रिफाइंड ले आइए”। चतुरंगी जी पैसे लेते हुए सोच रहे थे इंसानों के दिन खराब आते हैं। यह तो समझ में आ रहा है। लेकिन यह चूहे शुद्ध घी खाने वाले कब से रिफाइंड आईल पसंद करने लगे। लगता है यह भी महंगाई की वजह से समझौता कर लिए हैं।
