
अनुपमा शर्मा:-
*जय काली दुर्गे नमोस्तुते*
कोलकाता में कई काली मंदिर हैं, जिनमें से दो काफी प्रसिद्ध हैं। एक है दक्षिणेश्वर काली मंदिर और दूसरा है कालीघाट काली मंदिर। दक्षिणेश्वर काली मंदिर कोलकाता के उत्तरी किनारे पर स्थित है जबकि कालीघाट काली मंदिर दक्षिणी किनारे पर है। दक्षिणेश्वर काली मंदिर इसलिए प्रसिद्ध है क्योंकि रामकृष्ण परमहंस इस मंदिर से जुड़े थे। कालीघाट काली मंदिर पुराना होने के कारण प्रसिद्ध है और धार्मिक दृष्टि से अधिक पवित्र माना जाता है।
कालीघाट शक्तिपीठ या कालीमंदिर कालीघाट शक्तिपीठ काली देवी का मंदिर है। यह ५१शक्तिपीठों में से एक है। इस शक्तिपीठ में स्थित प्रतिमा की प्रतिष्ठा कामदेव ब्रह्मचारी ( सनयस्थ नाम) ने की थी । माता काली के भक्तों का यह सबसे बड़ा मन्दिर है। इस मंदिर में काली देवी के उग्र रूप की प्रतिमा स्थापित है। इस प्रतिमा में माता काली भगवान भोलेनाथ की छाती पर पैर रखी हुई हैं। उनके गले में नरमुण्डों की माला है ,हाथ में हँसिया और कुछ नरमुण्ड हैं । कुछ नरमुण्ड कमर में भी बँधे हुए हैं। माता की जिह्वा (जीभ) बाहर निकली हुई है और उससे कुछ रक्त की बूँदें टपक रही हैं। इस प्रतिमा की जिह्वा सोने की बनी हुई है।
*काली काली महाकाली कालिके परमेश्वरी ।*
*सर्वानन्दकरी देवी नारायणि नमोस्तुते ।।*
पौराणिक कथाओं के अनुसार माता पार्वती जब क्रोधित हो गयीं तब उन्होंने नर संहार करना शुरू कर दिया था । उनके सामने जो भी आता वह मारा जाता कोई भी उनका मुकाबला नहीं कर पा रहा था। उनके इस क्रोधित रूप के बारे में जब भगवान शिव को पता चला तो वह उनको शांत करने के लिये उनके रास्ते में लेट गये । माता ने क्रोध में उनकी छाती पर पैर रख दिया जैसे ही उनका पैर भगवान की छाती पर पड़ा वह भगवान को उसी समय पहचान गयीं और उनकी जिह्वा बाहर निकल गयी और उन्होंने नर संहार बन्द कर दिया। जहाँ जहाँ माता सती के शरीर के अंग वस्त्र ,प्रत्यंग गिरे वहाँ शक्तिपीठ बन गये। यहाँ माता सती की बायें पैर का अँगूठा गिरा था। माँ काली के चार रूप हैं–दक्षिण काली, श्मशान काली, मातृ काली, और महाकाली । यहाँ की शक्ति कालिका हैं और भैरव को नकुशील कहते हैं। यह शक्तिपीठ दक्षिणेश्वर काली के नाम से भी प्रसिद्ध है।
पर्यटकों के लिए दक्षिणेश्वर काली मंदिर अधिक आकर्षक है। यह न केवल सुंदर है बल्कि आरामदायक भी है (क्योंकि इसमें दलाल नहीं हैं)। दोनों मंदिरों के बीच लगभग 16-18 किलोमीटर की दूरी है।
कालीघाट तक आसानी से पहुंचा जा सकता है। आप कालीघाट तक टाउन बस या ट्राम या मेट्रो ट्रेन से जा सकते हैं। कालीघाट मेट्रो नामक एक मेट्रो स्टेशन है जहाँ से आप मंदिर (एक किमी से कम) तक जा सकते हैं। यह मंदिर आदि गंगा नामक छोटी (नहर जैसी) नदी के पास स्थित है जो बाद में हुगुली नदी से जुड़ जाती है।
*नमो नमो जय काली महारानी ।*
*त्रिभुवन में नहिं तुम्हारा सानी।।*

