

अनुपमा शर्मा:–
*जयन्ती मङ्गला काली भद्रकाली कपालिनी। *
*दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तुते।।*
भद्रकाली मंदिर या सावित्री शक्तिपीठ हरियाणा राज्य के कुरुक्षेत्र में स्थित माता सती के ५१(इक्यावन)शक्तिपीठों में से एक है। यहाँ माता सती के दायें पैर के टखने(घुटने)के नीचे का भाग गिरा था । इस शक्तिपीठ के गर्भगृह में माता भद्रकाली की मूर्ति विराजमान है जिन्हें सावित्री देवी कहा जाता है। उनके विग्रह के दोनों तरफ उनकी सवारी शेर भी विराजमान है। सामने ही माता के पैर (घुटने के नीचे का हिस्सा) की प्रतिमा स्थापित है।
भद्रकाली मंदिर मां देवी काली को समर्पित है। भद्रकाली शक्ति पीठ सावित्री पीठ के नाम से प्रसिद्ध है। भद्रकाली मंदिर में देवी काली की प्रतिमा स्थापित है और मंदिर में प्रवेश करते ही बड़ा कमल का फूल बनाया गया है। जिसमें मां सती के दायें पैर का टखना स्थापित है। यह सफेद संगमरमर से बना है।
इस शक्तिपीठ की शक्ति सावित्री देवी हैं तथा भैरव स्थनु हैं।
*ऐंकारी सृष्टिरुपायै ह्रींकारी प्रतिपालिका ।*
*क्लींकारी कामरूपिण्यै बीजरूपे नमोस्तु ते।।*
वामन पुराण और ब्रह्मपुराण में चार कूपों का वर्णन आता है–चंद्रकूप, विष्णु कूप, रुद्र कूप व देवी कूप। कुरुक्षेत्र स्थित देवीकूप भद्रकाली शक्तिपीठ का इतिहास दक्ष प्रजापति की पुत्री व भगवान शिव की अर्धांगिनी माता सती के साथ जुड़ा हुआ है।
इस स्थान के बारे में मान्यता है कि भगवान श्रीकृष्ण के कहने पर पाण्डु पुत्र अर्जुन ने माता भद्रकाली की आराधना की और उसने माता से कहा कि अगर महाभारत के युद्ध में अगर पाण्डवों की विजय हुई तो वह शक्तिपीठ की सेवा में घोड़े चढ़ाने आयेगा। युद्ध में विजय प्राप्त होते ही पाण्डवों ने यही किया। भक्त अपनी मनोकामना पूर्ण होने पर अपनी सामर्थ्य अनुसार सोने, चाँदी व मिट्टी के घोड़े चढ़ाते हैं। मन्दिर के बाहर देवी तालाब भी स्थित है तालाब के पास ही राजा दक्षेश्वर महादेव का मंदिर है। भगवान कृष्ण व बलराम का मुण्डन संस्कार भी इसी स्थान पर हुआ था।
*नमो देव्यै प्रकृत्यै च विधात्र्यै सततं नम: ।
कल्याण्यै कामदायै च वृद्धयै सिद्धयै नमो नम: ।।*
मंदिर और त्योहार
मंदिर के दक्षिण तरफ ‘द्वैपायन सरोवर’ तथा उत्तरी-पश्चिमी किनारे पर ‘सूर्य यंत्र’ तथा ‘दक्षेश्वर महादेव का मंदिर’ भी है।
नवरात्रों में तथा प्रत्येक शनिवार को यहाँ अपार भक्त समूह पूजा हेतु आता है।
यातायात और आवास
यात्रियों के ठहरने के लिए मंदिर परिसर में ही धर्म कक्ष भी मौजूद है।
दिल्ली-अमृतसर रेलमार्ग पर कुरुक्षेत्र स्टेशन दिल्ली से 55 किलोमीटर दूर है। सड़क मार्ग से मंदिर दिल्ली-अम्बाला मार्ग (जी.टी.रोड) प्रियली बस अड्डे से 9 किलोमीटर दूर है।
