डॉ. धनंजय सोलंकी
आयुर्वेद प्राचीन भारतीय चिकित्सा पद्धति है जो स्वस्थ जीवन जीने के लिए मार्गदर्शन करती है। इसमें प्राकृतिक उपचार और स्वस्थ जीवन शैली पर जोर दिया जाता है।
*आयुर्वेद के मूल सिद्धांत:**
आयुर्वेद का आधार त्रिदोष सिद्धांत है – वात, पित्त, और कफ। ये तीन दोष शरीर के संतुलन को नियंत्रित करते हैं। पृथ्वी, वायु, जल, अग्नि, और आकाश के तत्वों के संयोजन से ये दोष बनते हैं। दोषों का संतुलन बिगड़ने पर बीमारियां उत्पन्न होती हैं।
**आयुर्वेद का महत्व:**
आयुर्वेद पांच हजार साल पुरानी पद्धति है जो जड़ी-बूटियों और प्राकृतिक तत्वों का उपयोग करके उपचार करती है। इसे विश्व स्वास्थ्य संगठन ने 1976 में मान्यता दी है। यह केवल उपचार ही नहीं बल्कि समग्र स्वास्थ्य और कल्याण के लिए भी महत्वपूर्ण है।
**आयुर्वेद का इतिहास:**
आयुर्वेद का इतिहास कम से कम 5,000 साल पुराना है। इसका उल्लेख वेदों और पुराणों में मिलता है। आज भी यह पद्धति भारत में प्रचलित है और पश्चिमी देशों में भी इसकी लोकप्रियता बढ़ रही है।
**आयुर्वेद कैसे काम करता है – त्रिदोष**
**त्रिदोष का महत्व:**
आयुर्वेद में त्रिदोष (वात, पित्त, कफ) का संतुलन हमारे स्वास्थ्य को नियंत्रित करता है। अगर इनका संतुलन बिगड़ता है, तो यह शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करता है। आयुर्वेद का मुख्य उद्देश्य इन दोषों को संतुलित रखना है।
*त्रिदोष और उनके कार्य:**
1. **वात**:
– तत्व: वायु और आकाश
– कार्य: गति और चाल की ऊर्जा, श्वास, हृदय की धड़कन
– संतुलन: रचनात्मकता और लचीलापन
– असंतुलन: भय, चिंता, जोड़ों का दर्द
2. **पित्त**:
– तत्व: अग्नि और जल
– कार्य: पाचन, अवशोषण, चयापचय, शरीर का तापमान
– संतुलन: समझ और बुद्धि
– असंतुलन: क्रोध, घृणा, ईर्ष्या
3. *कफ
– तत्व: पृथ्वी और जल
– कार्य: शरीर की संरचना, जोड़, त्वचा का मॉइस्चर, प्रतिरक्षा
– संतुलन: प्यार, शांति, क्षमा
– असंतुलन: लगाव, लालच, ईर्ष्या
**पांच तत्व और उनका महत्व:**
शरीर जल, पृथ्वी, आकाश, अग्नि और वायु से बना है। त्रिदोष इन तत्वों के संयोजन से बने हैं और इनका संतुलन बनाए रखने से स्वास्थ्य बेहतर रहता है।
**उद्देश्य:**
आयुर्वेद का उद्देश्य त्रिदोषों को संतुलित रखकर शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को सुधारना है, जिससे सभी उम्र के लोग स्वस्थ जीवन जी सकें।
**आयुर्वेद के स्वास्थ्य लाभ:**
**स्वस्थ वजन, त्वचा और बाल:**
आयुर्वेदिक आहार और उपचार से शरीर से अतिरिक्त चर्बी कम होती है, जिससे सही वजन बनाए रखने में मदद मिलती है। आयुर्वेदिक तरीकों से स्वस्थ, निखरी त्वचा और घने, खूबसूरत बाल प्राप्त किए जा सकते हैं। संतुलित भोजन, व्यायाम और आयुर्वेदिक पूरक मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाते हैं।
**तनाव से बचाव:**
योग, मेडिटेशन, ब्रीदिंग एक्सरसाइज, मसाज और हर्बल उपचार शरीर को शांत, डिटॉक्सिफाई और कायाकल्प करने में मदद करते हैं। शिरोधारा, अभ्यंग, शिरोभ्यंग और पादाभ्यंग तनाव और चिंता को दूर रखने में सहायक हैं।
**जलन और सूजन में मदद:**
अस्वास्थ्यकर आहार, अनियमित दिनचर्या और नींद की कमी से सूजन होती है। आयुर्वेदिक आहार और उपचार पाचन तंत्र को मजबूत कर शरीर से विषाक्त पदार्थों को निकालते हैं, जिससे मूड स्विंग्स और सुस्ती कम होती है।
**शरीर का शुद्धिकरण:**
आयुर्वेद में पंचकर्म (एनीमा, रक्तमोक्ष) के माध्यम से शरीर के विषाक्त पदार्थों को बाहर निकाला जाता है।
*क्रिटिकल बीमारियों से बचाव:**
आयुर्वेदिक उपचार कैंसर, निम्न रक्तचाप, और कोलेस्ट्रॉल जैसी बीमारियों की रोकथाम में सहायक होते हैं। आयुर्वेदिक आहार और विश्राम तकनीक कैंसर को दूर रखने में मदद करते हैं।
**आयुर्वेद का महत्व:**
आयुर्वेद प्राचीन चिकित्सा पद्धति है जो शरीर, मन और आत्मा को संतुलित रखती है। आधुनिक चिकित्सा के साथ आयुर्वेद का संबंध बनाकर इस पर अधिक शोध हो रहा है, जिससे लोगों की जीवनशैली में सकारात्मक बदलाव आ रहे हैं।
(संपर्क)
डॉ धनंजय सोलंकी
BAMS, CCH, ND,D.Acu.
प्रिवेंटिव & क्रानिक हेल्थ केअर प्रेक्टिशनर
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