ब्रजेश वर्मा (भागलपुर):-

बिहार के एक सबसे प्राचीन शहर भागलपुर के लोगों की सबसे बड़ी मांग कि इस शहर का अपना एक हवाई अड्डा हो, पर लोकसभा चुनाव की घोषणा के ठीक एक दिन पहले बिहार सरकार के कैबिनेट ने जो फैसला लिया उसके तहत इस शहर को एयरपोर्ट मिलने की उम्मीद जगी है।
बिहार सरकार के मंत्रिमंडल ने 15 मार्च को अपनी स्वीकृति में कहा कि भागलपुर में वर्तमान हवाई अड्डे को स्थांतरित करते हुए न्यूनतम 6000 फीट लंबाई का रनवे तथा एक टर्मिनल भवन के निर्माण हेतु भूमि चिन्हित कर एक नए हवाई अड्डे के निर्माण के लिए सैद्धांतिक सहमति दी जाती है।
होली के त्योहार के पहले बिहार सरकार के कैबिनेट का यह फैसला भागलपुर के लोगों के चेहरे पर थोड़ा मुस्कान तो लाता है, किंतु एक हवाई अड्डे की मांग में संघर्षरत रहे स्थानीय लोगों का कहना है कि उनकी लड़ाई वस्तुस्थिति के धरातल पर उतरने तक जारी रहेगी।
पिछले कुछ वर्षों से भागलपुर हवाई जहाज सेवा संघर्ष समिति शहर में एक नए हवाई अड्डे के निर्माण और हवाई जहाजों के परिचालन के लिए आंदोलन कर रहा है। समिति के सांयोयक कमल जायसवाल ने ‘लैंप पोस्ट ‘ से बातचीत में कहा कि चुनाव की घोषणा के ठीक पहले समिति ने एक आवेदन जिलाधिकारी को दिया था। उसके ठीक बाद बिहार सरकार के कैबिनेट का इस संबंध में फैसला आना बड़ी बात है। उन्होंने कहा कि भागलपुर के जिलाधिकारी यहां के स्थानीय लोगों की मांगों पर काफी गंभीर हैं।
भागलपुर में समाज के कुछ प्रबुद्ध और शहर को विकसित देखने की कल्पना में जुड़े लोगों ने भागलपुर हवाई जहाज सेवा संघर्ष समिति के माध्यम से लोगों के सपने को साकार करने का बीड़ा उठाया है। उन लोगों में आनंद कुमार मिश्र, सुरेश प्रसाद यादव, मनोज कुमार, प्रेम रंजन, अभय कुमार घोष, जयनंदन आचार्य, अशोक कुमार गुप्ता, डॉक्टर सलाउद्दीन एहसान, प्रोफेसर एजाज अली और लालू शर्मा आदि शामिल हैं। इनके अलावा सैकड़ों लोगों ने समिति के रजिस्टर पर अपने हस्ताक्षर कर इस मांग का समर्थन किया है। इस आंदोलन को जनप्रतिनिधियों का भी समर्थन रहा है।
समिति के संयोजक कमल जायसवाल का कहना है कि भागलपुर और उसके आसपास के इलाके के हजारों ऐसे परिवार हैं जिनके बच्चे राज्य के बाहर ऊंची और तकनीकी शिक्षा ले रहे हैं, किंतु उन्हें अपने गंतव्य स्थान तक पहुंचने के लिए पटना या कलकत्ता जाकर प्लेन पकड़ना होता है, जो खर्चीला और तकलीफदेह है। हाल ही में केंद्र सरकार ने झारखंड के देवघर में हवाई जहाज का परिचालन शुरू कर दिया, जबकि 1969-70 में शुरू किया गया भागलपुर का हवाई अड्डा अब बेकार हो चुका है। इसलिए शहर के लोग एक आधुनिक हवाई अड्डे की मांग कर रहे हैं।
सत्तर के दशक में सरकार ने भागलपुर से 36 सीटर हवाई जहाज उड़ना शुरू किया था, किंतु जल्द ही यह बंद हो गया। शहर के बीचोबीच बना पुराना हवाई अड्डा अतिक्रमण का शिकार है और कभी कभार कोई वी आई पी अपने चार्टर्ड प्लेन से यहां उतरते हैं। मूल रूप से यह बंद ही है।
भागलपुर के लोगों को पिछले साल फरवरी में तब झटका लगा था जब भारत सरकार के नगर विमान मंत्रालय ने लोक सभा में एक सवाल के जवाब में कहा कि वर्तमान में भागलपुर में ग्रीनफील्ड हवाई अड्डे के लिए कोई प्रस्ताव नहीं है। बिहार में स्थित भागलपुर हवाई पट्टी, उड़ान, दस्तावेज के अंतर्गत अपरिचित हवाई अड्डों की सूची में शामिल है। भागलपुर हवाई पट्टी से उड़ान फ्लाइटों के प्रचलन के लिए चौथे दौर की बोली प्रक्रिया के समाप्त होने तक किसी भी एयरलाइन ने प्रस्ताव पेश नही किया है।
लोकसभा में दिए गए सरकार के इस बयान से साफ पता चलता है कि केंद्र और राज्य की सरकारों के बीच भागलपुर हवाई अड्डे के निर्माण पर कोई तालमेल नहीं है। इस बात से यहां आंदोलन कर रहे लोगों के मन में काफी दुख हुआ। एकबार फिर से आंदोलन शुरू हुआ।
फिर बिहार सरकार के सिविल विमानन निदेशालय ने पिछले साल मई माह में भागलपुर के जिलाधिकारी को एक पत्र लिखकर कहा कि भागलपुर के गोराडीह अंचल में दो हिस्सों में जो लगभग ग्यारह एकड़ जमीन उपलब्ध है, वह हवाई निर्माण हेतु क्षेत्रफल के आधार पर पर्याप्त नहीं है।
इस बात से पता चलता है कि शहर में हो रहे आंदोलन को सरकार ने गंभीरता से लेना शुरू किया। क्योंकि फिर बिहार सरकार के विमानन निदेशालय ने भागलपुर के जिलाधिकारी को 5 फरवरी 2024 को एक पत्र लिखते उन्हें 475 एकड़ भूमि चिन्हित करने का अनुरोध किया ताकि नया हवाई अड्डा बनाया जा सके।
इसके बाद भागलपुर हवाई जहाज सेवा संघर्ष समिति ने 13 मार्च 2024 को जिलाधिकारी को एक ज्ञापन देते हुए उनसे इस दिशा में शीघ्र ही जमीन चिन्हित करने का आग्रह किया ताकि भागलपुर शहर में ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट का निर्माण शुरू हो सके।
समिति के संयोजक कमल जायसवाल ने कहा कि जिलाधिकारी ने इसे गंभीरता से लिया है।

