कंचन:-

जीवन बहुत सहज और सुंदर है। यदि आप हर काम शांत और स्थिर मन से करते हैं, दूसरों की खुशी से खुश हो अपने आसपास की हर चीज से प्यार करते हैं,  आपके पास जो कुछ भी है उसके प्रति कृतज्ञता महसूस करते हैं और जब किसी चीज की कमी महसूस करते हैं तो अपने से उन लोगों की तुलना करें, जिनके पास वो भी नही है जो अभी आपके पास है, तो आप हमेशा खुश और संतुष्ट रह सकते हैं।
फिर ऐसा भी देखा गया है कि जीवन बहुत कष्टकारक तब हो जाता है जब हम हमेशा अपने से अधिक दूसरों के बारे में सोच सोच कर जलते रहते हैं।
अब यह सिर्फ आपको ही तय करना है कि आप अपने जीवन को कैसे बिताना चाहते हैं, क्योंकि आप दुखी हैं तो सिर्फ अपने कारण और यदि सुखी हैं तो भी सिर्फ अपने कारण। यदि हमारा मन खुश होना चाहे तो वह बिना धन और संपत्ति के भी हो सकता है, जिसमें हमारी बुद्धि, हमारा स्वास्थ्य और संस्कार शुद्ध रहेगा, अन्यथा यदि हम दुखी हुए तो हमारी मानसिक और शारीरिक क्षति ही होगी। यह तो आपको सोचना है कि आप आधे भरे हुए पानी के ग्लास को देखकर खुश हो या फिर खाली ग्लास को देखकर। यहां सकारात्मक विचार वाले खुश होंगे और नकारत्मक विचार वाले दुखी।
इसलिए स्वस्थ शरीर और शांत मन के लिए इंसान को योग और व्यायाम करना चाहिए। योग हमें बाहरी सांसारिक दुनिया को भुलाकर अपने मन के अंदर की दुनिया से परिचित कराता है, जहां प्रेम, शांति, पवित्रता और आनंद की अनुभूति होती है।
आज के युग में आत्मा या मन का यह वास्तविक रूप सोया हुआ है और उसकी जगह पर क्रोध, अहंकार, घृणा और तृष्णा ने अपना कब्जा जमा लिया है।
यदि हम फिर से अपने आत्मिक स्वरूप को पाना चाहते हैं तो हमें  अपने मन के अंदर सोए हुए संस्कार को पुनर्जीवित करना होगा। ब्रह्ममुहुर्त में किया गया योग हमें सारा दिन स्फूर्तिवान बनाता है।
उसी तरह शरीर की शुद्धि के लिए व्यायाम भी अति आवश्यक है। इसके लिए हर इंसान को कम से कम आधे घंटे का समय निकालना चाहिए, जिससे उसका शारीरिक और मानसिक विकास हो सके। व्यायाम में सूर्य नमस्कार सबसे उत्तम है, जिसके करने से शरीर को शांति मिलती है। अपने मन और मस्तिष्क को काबू में रखने का यह सबसे उत्तम साधन है।

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By lamppost

Dr. Brajesh Verma was born on February 26, 1958, in the Bhagalpur district of Bihar. He has been in the field of journalism since 1987. He has worked as a sub-editor in a Hindi daily, Navbharat Times, and as a senior reporter in Hindustan Times, Patna and Ranchi respectively. Dr. Verma has authored several books including Hindustan Times Ke Saath Mere Din, Pratham Bihari: Deep Narayan Singh (1875–1935), Rashtrawadi Musalman (1885–1934), Muslim Siyaasat, Rajmahal and novels like Humsaya, Bihar – 1911, Rajyashri, Nadira Begum – 1777, Sarkar Babu, Chandana, Gulrukh Begum – 1661, The Second Line of Defence and Bandh Gali.