डॉ. धनंजय सोलंकी:(पूणा से):-
हिन्दू धर्म के अनुसार, ब्रह्मांड के चक्र में समय की प्रगति के साथ, मानव जीवन की उम्र में भी परिवर्तन हुआ है।
सतयुग में, मानव जीवन की उम्र १,००,००० वर्ष थी, जो द्वापर युग में १०,००० वर्ष, त्रेता युग में १,००० वर्ष, और कलयुग में सिर्फ १०० वर्ष बचे। यह पतन धार्मिक और नैतिक अवस्थाओं की बदलती प्रकृति के कारण हुआ है!
कलयुग के आधुनिक युग में, मानव समाज अपने आत्मिक मूल्यों को भुला कर भोगविलासी जीवनशैली में उलझ गया है। इसके परिणामस्वरूप, दुष्प्रवृत्तियों का बढ़ता दबाव मानव जीवन की उम्र को संकुचित कर रहा है।
आधुनिक विज्ञान और प्रौद्योगिकी ने मानव जीवन को सुविधाजनक बनाने के लिए कई उपायों को पेश किया है, लेकिन इसका शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर भरपूर नकारात्मक प्रभाव है। जीवन का बढ़ता तनाव, अनियमित और अव्यवस्थित आहार, जीवन में रासायनिक उत्पादों की मार, खतरनाक प्रदूषण स्तर मानव जीवन को दिन पर दिन कमजोर और बीमार बना रहे हैं। १०० वर्ष की उम्र में १० वर्ष की उम्र भी स्वस्थ, सुंदर और उर्जा युक्त जी पाना दूभर हो गया है।
कलयुगी मानव ने प्राकृतिक संसाधनों का अत्यधिक उपयोग किया है, जिससे प्राकृतिक संतुलन बिगड़ गया है। अत्यधिक उद्योग, वाणिज्य, और तकनीकी प्रगति ने प्राकृतिक परिसंवेदना को दरकिनार कर दिया है। मानव ने अपनी आत्मा को भुला दिया है और आत्मिक संतुलना को खो दिया है।
इस परिस्थिति में, हमें प्राकृतिक संतुलन की रक्षा करने के लिए प्रयास करना चाहिए और सत्य, न्याय, और धर्म के मार्ग पर चलना चाहिए। हमें अपने आत्मा की देखभाल करनी चाहिए और आत्मिक संतुलन को पुनः स्थापित करने के लिए प्रयत्नशील रहना चाहिए।
केवल इस प्रकार, हम अपने जीवन को स्वस्थ और समृद्ध बना सकते कर दुखों का अंत कर सकते हैं। इस संकट से निकलने के लिए, हमें अपने आप को प्राकृतिक संगठन में वापस लाना होगा, जो हमारे स्वास्थ्य और समृद्धि के लिए आवश्यक है।
” मिशन केमिकल फ्री ” का यही सार्थक प्रयास है, सत्य मार्ग के साथ केमिकल मुक्त का मार्ग रसायन युग से मुक्ति दिलाने में निश्चित ही सार्थक और सफल होगा, जहां मानव अपनी १०० वर्ष की आयु स्वस्थ सुंदर, उर्जावान और बीमारी मुक्त जी पाएगा।।
आप किस युग के अभिलाषी है ?
रसायन युक्त  या  रसायन मुक्त  ?
क्या आप बदलाव के लिए तैयार है ?
या अभी आपको और अधिक दुर्गति का इंतजार है ?
आपसे संपर्क का अभिलाषी:-
(डॉ धनंजय सोलंकी
BAMS, CCH, ND, D.Acu
Preventive Health Practitioner
8983944115)

Spread the love

By lamppost

Dr. Brajesh Verma was born on February 26, 1958, in the Bhagalpur district of Bihar. He has been in the field of journalism since 1987. He has worked as a sub-editor in a Hindi daily, Navbharat Times, and as a senior reporter in Hindustan Times, Patna and Ranchi respectively. Dr. Verma has authored several books including Hindustan Times Ke Saath Mere Din, Pratham Bihari: Deep Narayan Singh (1875–1935), Rashtrawadi Musalman (1885–1934), Muslim Siyaasat, Rajmahal and novels like Humsaya, Bihar – 1911, Rajyashri, Nadira Begum – 1777, Sarkar Babu, Chandana, Gulrukh Begum – 1661, The Second Line of Defence and Bandh Gali.