ब्रजेश वर्मा:
” हम वह देश नहीं बना सकते जो हमारी सरकार को भाए, हमें ऐसी सरकार बनानी चाहिए जो इस देश को पसंद आए; जिसपर शासन करने के लिए हमारा अपना प्रदेश होगा,” यह कथन है मेजर जेम्स ब्राउन का जिसके अंदर ही भारत में ईस्ट इंडिया कंपनी की सत्ता का राज छिपा हुआ है।
मेजर ब्राउन की इसी सलाह पर ईस्ट इंडिया कंपनी ने अपनी योजना बनाकर लगभग दो सौ साल तक राज किया।
बंगाल के गवर्नर जनरल वारेन हेस्टिंग्स ने 1774 में मेजर जेम्स ब्राउन को राजमहल (वर्तमान में झारखंड का पूर्वी इलाका) भेजकर वहां शांति व्यवस्था स्थापित करने का आदेश दिया था। दरअसल 1769-1771 के बीच बंगाल में आए भीषण अकाल के बाद इन इलाकों में लोग एक दूसरे के खून के प्यासे हो गए थे।
मेजर ब्राउन राजमहल सहित भागलपुर और हवेली खड़गपुर के इलाके में काम कर रहा था। वह अगले चार वर्षों तक इस इलाके में रहा।  जब मेजर ब्राउन को 1776 में अगस्टस क्लीवलैंड को राजमहल के असिस्टेंट कलक्टर का चार्ज देने को कहा गया तो उस समय क्लीवलैंड की उम्र मात्र 22 साल थी, जिसपर ब्राउन ने गवर्नर जनरल के सामने आश्चर्य प्रकट किया था।
जब क्लीवलैंड ने इस इलाके को पूरी तरह से अपने कंट्रोल में ले लिया तब 1778 में मेजर ब्राउन को वापस बुला लिया गया।  मेजर जेम्स ब्राउन सिर्फ सेना का नायक नही, बल्कि एक शानदार लेखक और विचारक भी था। उसने “इंडिया ट्रैक्ट्स” नाम की एक किताब लिखी, जिसे पढ़ने पर यह पता चलता है कि ब्राउन की सलाह पर ही ईस्ट इंडिया कंपनी के अधिकारियों ने काम कर भारत में अपनी सत्ता को मजबूत किया।
उसकी यह पुस्तक एक दस्तावेज है, जिसमें उसने जो सुझाव दिए हैं उसी की बदौलत कंपनी भारत में इतने लंबे समय तक राज कर सकी। ब्राउन का यह सुझाव चेयरमैन ऑफ दि डायरेक्टर फॉर दि अफेयर्स यूनाइटेड ईस्ट इंडिया कंपनी जॉन मोटकॉक्स और गवर्नर जनरल वारेन हेस्टिंग्स को था।
इसी सुझाव में यह कहा गया था कि हम वह देश नहीं बना सकते जो हमारी सरकार को भाए, हमें ऐसी सरकार बनानी चाहिए जो इस देश को पसंद आए, जिसपर शासन करने के लिए हमारा अपना प्रदेश होगा।
उसने फिर लिखा कि बाहरी ताकत और सुरक्षा के लिए यह जरूरी है कि यहां शांति बनी रहे। यह एक कठिन सवाल है, किंतु हमने जो सलाह दिया हुआ, वह लागू करने योग्य है। यदि मैं असफल हो जाता तो संविधान के अनुसार यहां ( राजमहल के जंगलतारी में) एक सैनिक शासन मंगाया जा सकता था, लेकिन मैं स्वीकार करता हूं कि यह इलाका हमारे इंग्लैंड के सिविल प्रशासन से अलग नही है। यह देश और यहां के लोग हमारे अपने हैं।
मेजर जेम्स ब्राउन की यह सलाह कंपनी के डायरेक्टर को उस समय दी गई थी जब ईस्ट इंडिया कंपनी बंगाल पर अपनी पकड़ बनाए रखने के लिए संघर्ष कर रही थी और उसकी मद्रास और बन बंबई प्रेसीडेंसी पर कोई पकड़ नही थी। आगे ब्राउन की सलाह पर काम कर कंपनी ने दो सौ साल तक भारत पर राज किया।

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By lamppost

Dr. Brajesh Verma was born on February 26, 1958, in the Bhagalpur district of Bihar. He has been in the field of journalism since 1987. He has worked as a sub-editor in a Hindi daily, Navbharat Times, and as a senior reporter in Hindustan Times, Patna and Ranchi respectively. Dr. Verma has authored several books including Hindustan Times Ke Saath Mere Din, Pratham Bihari: Deep Narayan Singh (1875–1935), Rashtrawadi Musalman (1885–1934), Muslim Siyaasat, Rajmahal and novels like Humsaya, Bihar – 1911, Rajyashri, Nadira Begum – 1777, Sarkar Babu, Chandana, Gulrukh Begum – 1661, The Second Line of Defence and Bandh Gali.