अनुपमा शर्मा:-

अयोध्या के पास भगवान राम से जुड़ा एक प्रमुख धार्मिक स्थल है नंदीग्राम। नंदीग्राम भी अयोध्या की तरह ही एक पवित्र तीर्थ स्थल है, लेकिन इसके बारे में बहुत कम लोगों को पता है। रामायण के हिसाब से नंदीग्राम का काफी महत्व है। फिर भी यहाँ नहीं के बराबर श्रद्धालु आते हैं। इस जगह के विकास पर अब तक कोई विशेष ध्यान दिया गया, लेकिन अब राम मंदिर निर्माण के साथ ही यहां के विकास पर भी ध्यान दिया जा रहा है।
नंदीग्राम या नंदी गाँव अयोध्या शहर के बाहरी इलाके में स्थित एक छोटा सा गाँव है। आज भी यह शहर की सीमा से बाहर है। यह वह स्थान है जहाँ श्री राम के छोटे भाई भरत 14 वर्षों तक रहे थे जब श्री राम वनवास में थे।
नंदीग्राम श्रीराम जन्मभूमि अयोध्या से सिर्फ 15 किलोमीटर की दूरी पर है। हिंदू धर्म में नंदीग्राम का अपना अलग धार्मिक, ऐतिहासिक और पौराणिक महत्व है। बताया जाता है कि भगवान राम जब 14 साल के लिए वन गए थे, तो उनके छोटे भाई भरत ने भी उतने ही समय तक यहां एक तरह से वनवास में ही जीवन व्यतीत किया था। रामायण के अनुसार, भगवान राम जब अपनी पत्नी सीता और अपने छोटे भाई लक्ष्मण के साथ वन की ओर रवाना हुए तो भरत भी उनके साथ वन जाने के लिए चल दिए। श्रीराम ने उन्हें काफी समझा-बुझाकर नंदीग्राम में ही रोक दिया।
बड़े भाई राम के समझाने पर भरत जी रुक तो गए, लेकिन वे वापस अयोध्या नहीं गए। उन्होंने श्रीराम जी से खड़ाऊं लेकर उनके प्रतीक के तौर पर नंदीग्राम से ही राजपाट चलाने लगे। भरत खुद को एक राजा नहीं, बल्कि श्रीराम को ही राजा मान उनके प्रतिनिधि के तौर पर अयोध्या का राजकाज चलाते रहे। एक तरह से इतने दिनों तक नंदीग्राम ही राजधानी बनी रही।


जब तक श्रीराम नहीं आए भरत भी सारे राजसी सुख त्याग कर 14 साल तक वहां तपस्या करते रहे। एक तरह से कह सकते है कि भरत भी 14 साल तक वनवास भोगते रहे। श्रीराम के वन गमन करने के साथ ही उनके पिता राजा दशरथ ने वियोग में अपने प्राण त्याग दिए थे। जिसके बाद भरत जी ने नंदीग्राम में एक कुण्ड का निर्माण कराया था। बताया जाता है कि भरत ने यहीं उनका श्राद्ध किया था। यह कुण्ड तबसे भरत कुण्ड के नाम से विख्यात है। इस कुण्ड के जल को काफी पवित्र माना जाता है।
जब भरत को पता चला कि श्री राम को वनवास पर जाना होगा क्योंकि उनकी माँ कैकेयी उन्हें राजा बनाना चाहती थीं। इससे उनके मन में गहरा पश्चाताप उत्पन्न हो गया। उन्होंने शासन करने से इनकार कर दिया और श्री राम की पादुकाओं को अयोध्या के सिंहासन की शोभा बढ़ाने दिया । श्री राम के वापस आने तक वह केवल राज्य के कार्यवाहक थे।
जैसे श्री राम और लक्ष्मण जंगल में उलझे बालों के साथ रहते थे, साधारण कपड़े पहनते थे और भूसी के बिस्तर पर सोते थे, वैसे ही भरत नंदीग्राम में रहते थे।
*नंदीग्राम की व्युत्पत्ति*
कहानी यह है कि नंदी, जिन्हें हम शिव के वाहन के रूप में बेहतर जानते हैं, ने एक बार इस स्थान पर घोर तपस्या की थी। शिव ने उनसे प्रसन्न होकर उन्हें अपना प्रधान गण बना लिया। उन्होंने उससे वरदान माँगने को भी कहा एक सच्चे भक्त की तरह नंदी ने यही कामना की कि यहाँ माँगी गई हर मनोकामना पूरी हो। शिव ने इच्छा पूरी की।
नंदी ने यहां एक शिवलिंग की स्थापना की जिसे अब नंदीश्वर महादेव के नाम से जाना जाता है। इस तरह इस गांव का नाम पड़ा- नंदीग्राम, नंदी का गांव।
*अयोध्या के निकट नंदीग्राम का दौरा*
स्कंद पुराण के अयोध्या महात्म्य में परिभाषित शहर का अध्ययन करने के लिए अयोध्या में जाना चाहिए। नंदीग्राम को अपनी यात्रा का हिस्सा बनाना चाहिए।
नंदीग्राम अयोध्या शहर से लगभग 15 किमी दक्षिण में है। यह राम वन गमन मार्ग या उस मार्ग पर पड़ता है जिसके माध्यम से श्री राम अपने 14 साल के वनवास के लिए जंगल में गए थे।
श्री राम ने वन जाने के लिए जो मार्ग अपनाया था
यह तमसा नदी के करीब है जिसके तट पर कई ऋषि आश्रम हैं। अब यह नदी कमोबेश सूख चुकी है। अयोध्या महात्म्य में पेड़ों, वनस्पतियों और पक्षियों से भरे इस क्षेत्र का सुंदर वर्णन है।
*गया कूप*
जैसे ही आप नंदीग्राम में कदम रखते हैं, सबसे पहले आपकी नजर गया कूप पर पड़ती है।
यह एक प्राचीन कुँआ है जहाँ पूर्वजों के लिए पिण्डदान किया जाता है। पितृ पक्ष के दौरान यहाँ कई लोगों को ये संस्कार करते देखा जा सकता है।
अयोध्या महात्म्य में उल्लेख है कि यहाँ पूर्वजों के लिए अनुष्ठान करने से उन्हें नरक से मुक्ति मिलती है और उन्हें स्वर्ग का आनंद मिलता है। सोमवती अमावस्या या अमावस्या जो सोमवार या किसी भी सोमवार को पड़ती है, इन अनुष्ठानों के लिए विशेष रूप से शुभ मानी जाती है।
*भरत कुण्ड*
यह गया कूप के निकट स्थित एक तालाब है। जब आप इसके पास से गुजरते हैं तो आप इसके घाटों को देख सकते हैं। यहां लगे एक बोर्ड पर लिखा है कि यहां हर शाम भरत कुंड पर दैनिक आरती की जाती है। मैंने इसे नहीं देखा, इसलिए निश्चित नहीं हो सकता कि यह वास्तव में हर दिन होता है या नहीं।
कहा जाता है कि भरत ने वनवास के चौदह वर्ष तक इसी कुण्ड में स्नान किया था।
भगवान राम के 14 साल वनवास में रहने के कारण यहां के श्रीराम जानकी मंदिर में 24 अक्टूबर, 2018 से 14 साल के लिए श्री सीताराम नाम का अखंड कीर्तन चल रहा है। 24 घंटे चलने वाला यह अखंड कीर्तन 14 साल पूरा हो जाने पर 15 अक्टूबर, 2032 को खत्म होगा। यह कीर्तन अयोध्या में श्रीराम मंदिर निर्माण से भी जुड़ा हुआ है।
अयोध्या से काफी करीब होने के बाद भी यह अब तक पर्यटकों और भक्तों से दूर बना रहा। जबकि धार्मिक महत्व के कारण यहां श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़नी चाहिए थी। अब जब भारतीय रेल ने 17 फरवरी, 2023 से ‘श्रीराम-जानकी यात्रा: अयोध्या से जनकपुर’ तक भारत गौरव डीलक्स एसी टूरिस्ट ट्रेन चलाने का फैसला किया है। नंदीग्राम के बारे में जानने की लोगों ने जिज्ञासा बढ़ी है। यह ट्रेन ट्रेन अयोध्या, नंदीग्राम, सीतामढ़ी, काशी, प्रयागराज और जनकपुर में रुकेगी।
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