ब्रजेश वर्मा:-
दुमका: झारखंड की उप राजधानी दुमका निवासी नाज़ परवीन ने उच्च शिक्षा हासिल करने का जो सपना देखा था, वह आज पूरा हो गया।
यह एक साधारण से परिवार का सपना था जिसमें नाज परवीन की सफलता पर उनके पति लिली की खुशी का ठिकाना नहीं। लिली अपने जानने वालों को अपनी पत्नी के उस सर्टिफिकेट को दिखाते हैं, जिसे दुमका स्थित सिदो कान्हू मुर्मू विश्विद्याला ने जारी किया है।
यह नाज परवीन की पीएच-डी डिग्री हासिल करने का सर्टिफिकेट है।
इस सर्टिफिकेट में लिली के लिए खुशी और मलाल दोनों का समिश्रण है, क्योंकि वह अंग्रेजी में दिए गए अपनी पत्नी के इस सर्टिफिकेट को पढ़ नहीं सकता।
लिली ने सिर्फ तीसरी कक्षा तक ही शिक्षा हासिल की है। तीसरा क्लास की पढ़ाई के बाद उसने स्कूल का मुंह नही देखा। मुख्य रूप से लिली एक मिस्त्री हैं, जो अपने परिवार का जीवन चलाते रहे हैं ।
लिली कहते हैं शादी के बाद यह तय किया कि उन्हें अपनी पत्नी को उच्च शिक्षा दिलानी है।
नाज परवीन ने अपनी पढ़ाई जारी रखी और लिली ने घर की जरूरतों के साथ साथ अपनी पत्नी को आगे बढ़ने का एक मिशन चलाया। धीरे धीरे नाज परवीन ने सफलता हासिल करते हुए आज पीएच- डी की डिग्री हासिल कर ली। विषय था, भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में झारखंड क्षेत्र की महिलाओं का योगदान। इस दिशा में उनके गाइड रहे डॉक्टर संजीव कुमार।
नाज परवीन बताती हैं कि वह फिलहाल दुमका के एस पी कालेज में कर्मचारी के रूप में काम कर रही हैं। उसका सपना है कि वह व्याख्याता के रूप में कॉलेज के छात्र छात्राओं को पढ़ाएं। समाज में महिलाओं को पढ़कर अपने पैरों पर खड़े होना जरूरी है। उनकी एकमात्र संतान उनकी पुत्री हैं, जिन्हें दोनो पति पत्नी अच्छी शिक्षा दे रहे हैं।
लिली ने खुद पढ़ाई नही की उसका उसे मलाल तो है, किंतु उसके अपनी पत्नी को उच्च शिक्षा दिलाने में जो मदद की और उनकी पत्नी ने जिस प्रकार से घर की जिम्मेदारियों को संभालते हुए डिग्रियां हासिल की उसके लिए वह समाज में एक मिशाल है। अब उसे एक उस नौकरी की तलाश है जिसमें वह एक शिक्षक की भूमिका अदा कर सके।
