ब्रजेश वर्मा:
इंसान चाहे कितना भी बड़ा और ताकतवर क्यों न हो, उसकी जिंदगी में कुछ ऐसी घटनाएं घटित हो जाती हैं, जिसे हम “डरावना सपना” अथवा nightmare कहते हैं।
ब्रिटिश भारत में एक गवर्नर जनरल था सर जॉन शोर (1751-1834), जिसकी जिंदगी का अधिकांश समय अनाज की कमी का डरावना सपने के रूप में बीता। वह 1793 से 1798 तक भारत का गवर्नर जनरल रहा।
सर जॉन शोर एक कवि भी था। पहले उसकी एक रचना पढ़िए:-
“Still fresh in memory’s eye the scene I view,
The shrivelled limbs, sunk eye, and lifeless hue;
Still here the mother’s shrieks and infant’s moans,
In wild confusion dead and dying lie ;-
Hark to the Jackal’s yell and vulture’s cry
The dogs’ tell howl, as midst the glare of day
They riot unmolested and Their prey
Dive scenes of horror, which no pen can trace
Nor rolling years from memory’s page efface.”
यह कविता सर जॉन शोर ने 1770 के बंगाल के अकाल के समय लिखी थी, जिसमें इंसानी तकलीफों की अंतहीन कहानियां हैं। इंसान की सबसे बड़ी खासियत उसके बर्दास्त करने की क्षमता होती है, जो यहां टूट गई थी।
सर जॉन शोर एकमात्र ऐसा विद्वान था जो पश्चिम से भारत ठीक उसी समय आया था, जब बंगाल में अकाल चल रहा था। एकप्रकार से वह इस अकाल का गवाह था।
उपर्युक्त कविता से साफ पता चलता है कि उसने क्या देखा। अनाज की भारी कमी के बीच लोग हर रोज मर रहे थे। सिर्फ मुर्शिदाबाद में ही 500 लोग हर रोज मर रहे थे। उसपर ठीक उसी समय चेचक, स्माल पोस्ट, ने भी दस्तक दिया। यह एक ऐसा कहर था कि चेचक से बंगाल के दो नवाब, नजाबत अली खान (1749-1770) और अशरफ अली खान(1759-1770) भी मारे गए।
सर जॉन शोर को 1770 में मुर्शिदाबाद में ईस्ट इंडिया कंपनी के बोर्ड ऑफ रेवेन्यू में सहायक के पद पर नियुक्त किया गया था। उसने यह भी देखा कि किस प्रकार इंसानी मांस को खाकर शहर में कुत्तों, गिद्धों और सियारों की डरावनी आवाज सुनाई देती थी। लोग घास और पेड़ के पत्ते खा रहे थे। लाशें इतनी अधिक थीं कि लोगों ने अपने मृत परिजनों को यूं ही पड़ा रहने दिया।
यह सब सिर्फ अनाज की कमी की वजह से हुआ। मानसून की असफलता ने अकाल को जन्म दिया और महज एक साल के अंदर बंगाल में तबाही हो गई, जिसकी संस्कृति हजारों साल पुरानी थी। पिछले दो हजार साल में बंगाल में ऐसी घटना नही घटी थी।
इसका मानसिक प्रभाव सर जॉन शोर पर यह पड़ा कि उससे जो भी व्यक्ति मिलने आता वह उसे सिर्फ अनाज की कमी की कहानियां सुनाया करता था। भूख, और भूख से उत्पन्न इंसानी मौत उसके लिए एक डरावना सपना बन चुका था।

