अनुपमा शर्मा:-


*देवि त्वं भक्तसुलभे सर्वकार्यविधायिनी।*
*कलौ हि कार्यसिद्धयर्थमुपायं ब्रूहि यत्रतः॥*
चट्टल शक्तिपीठ ५१ शक्तिपीठों में से एक है। बंग्लादेश में चिट्टागोंग (चटगाँव) जिले से ३८ किलोमीटर दूर सीताकुण्ड स्टेशन के निकट समुद्रतल से 350 मीटर की ऊँचाई पर चंद्रनाथ पर्वत शिखर पर छत्राल (चट्टल या चहल) में माता की दायीं भुजा गिरी थी । यहाँ इस शक्तिपीठ की शक्ति भवानी हैं और भैरव चंद्रशेखर हैं। यहाँ भैरव चन्द्र शेखर का मंदिर है।
यहीं पर पास में ही सीताकुण्ड, व्यासकुण्ड, सूर्यकुण्ड,ब्रह्मकुण्ड, बाड़व कुण्ड,लावणाक्ष तीर्थ, सहस्त्र धारा, जनकोटि शिव भी हैं। बाड़वाकुण्ड से निरन्तर आग निकलती रहती है।
*सर्वस्वरूपे सर्वेशे सर्वशक्तिसमन्विते।*
*भयेभ्यस्त्राहि नो देवि दुर्गे देवि नमोऽस्तुते॥*
भारतीय आध्यात्मिक जगत में शक्तिपीठों का बड़ा महत्व है। शक्तिपीठ ऊर्जा के स्रोत हैं। यहाँ लोग लंबे समय तक बैठ कर ध्यान कर उर्जा पा सकते हैं।जब आप ध्यान करते हैं या गाते हैं तो उस स्थान पर ऊर्जा इकठ्ठा हो जाती है। जब आप सकारात्मक स्थित में होते हैं, न् केवल आप यहाँ तक खम्बे, पेड़ और पत्थर सकारात्मक कम्पनों को अवशोषित करते हैं। शक्तिपीठों का निर्माण इसी तरह हुआ। शक्तिपीठ दैवीय शक्ति से ओतप्रोत एक स्थान है जहाँ आप ध्यान कर उस चेतना से जुड़ सकते हैं।
*कामेश्वरि जगन्मातः सच्चिदानन्दविग्रहे।*
*गृहाणार्चामिमां प्रीत्या प्रसीद परमेश्वरि॥*
