

अनुपमा शर्मा:-
*जय त्वम देवि सर्वगते कालरात्रि नमोस्तुते।।*
प्रयागराज स्थित ललिता देवी शक्तिपीठ माता के इक्यावन शक्तिपीठों में से एक है। जहाँ-जहाँ माता सती के अंग वस्त्र व आभूषण गिरे, वहाँ -वहाँ शक्तिपीठ अस्तित्व में आये। ये शक्तिपीठ अत्यंत पावन एवम उर्जा के प्रमुख स्थल माने गये हैं। यह शक्तिस्वरूप स्थल पूरे भारतीय उपमहाद्वीप में पाये जाते हैं।
प्रयाग ललितादेवी शक्तिपीठ उत्तर प्रदेश के प्रयाग में स्थित है। प्रयाग में भी माता के शक्तिपीठ के स्थानों को लेकर मतभेद है।
वैसे तो अलोपीदेवी स्थित ललितादेवी ही शक्तिपीठ है लेकिन अक्षयवट के पास कल्याणी या ललिता देवी का मंदिर है, इसे भी शक्तिपीठ माना जाता है। कुछ लोग मीरापुर के ललितादेवी मंदिर को भी शक्तिपीठ मानते हैं। लेकिन इतना तय है कि देवी सती के शरीर के अंग प्रयाग में गिरे थे। इसीलिए प्रयाग को तीर्थराज के अलावा शक्तिपीठ भी माना जाता है। देवी का यह मंदिर बड़ा ही मनोरम है। मुख्य प्रतिमा के पास अन्य देवी-देवताओं की प्रतिमाएं भी हैं। पुराणों के अनुसार प्रयाग में भगवती ललिता का स्थान अक्षयवट प्रांगण से वायव्यकोण यानी उत्तर-पश्चिम कोने में यमुना नदी के किनारे पर है। प्रयाग माहात्मय के अनुसार ललिता और कल्याणी दोनों एक ही हैं। कौनसा अंग गिरा- हाथ की अंगुली, शक्ति- ललिता, भैरव- भव
मंदिर में देवी की प्रतिमा बड़ी ही दिव्य है। देवी चतुर्भुज रूप में एक सिंहासन पर विराजमान हैं। इसके ऊपर शीर्ष भाग में एक आभाचक्र और मस्तक पर योनि, लिंग व फणींद्र हैं। मध्यमूर्ति के बाएं पाश्र्व भाग में दस महाविद्याओं में से एक भगवती छिन्नमस्ता की सुंदर प्रतिमा भी है। दाहिनी ओर महादेव और माता पार्वती की प्रतिमाएं हैं। मुख्य प्रतिमा के ऊपर दाहिनी ओर गणेश तथा बायीं ओर हनुमान विराजमान हैं। ऊपर की ही ओर भगवान दत्तात्रेय की मूर्ति भी है। ललितादेवी मंदिर के पास ही ललितेश्वर शिव हैं।


यहाँ तीन मन्दिरों को शक्तिपीठ माना जाता है और तीनों ही मन्दिर प्रयाग शक्तिपीठ की देवी (शक्ति )ललिता के हैं।
प्रयाग में माता सती की हस्तांगुली का निपात(गिरना) हुआ था। माता की अंगुलियाँ ‘अक्षयवट’ मीरापुर और ‘अलोपी नामक ‘ स्थानों पर गिरी थीं। जिस स्थान पर कभी माता की अंगुलियां गिरी थीं, वहां पर आज एक 108 फीट ऊंचा गुंबदनुमा एक विशाल मंदिर है। प्रयागराज शहर के मध्य में यमुना नदी के किनारे मीरापुर स्थित मोहल्ले में स्थित यह मंदिर श्रीयंत्र पर आधारित है। इस शक्तिपीठ की देवी ललिता तथा भैरव भव हैं। अक्षयवट किले में कल्याणस्वरूपा ललितादेवी शक्तिपीठ मन्दिर के निकट ही ललितेश्वर महादेव का भी मन्दिर है । मत्स्यपुराण में १०८ शक्तिपीठों में प्रयाग ललितादेवी नाम से विवरण दिया गया है।
*देवि प्रपन्नार्तिहरे प्रसीद प्रसीद मातर्जगतोखिलस्य।*
*प्रसीद विश्वेश्वरि पाहि विश्वं त्वमीश्वरी देवि चराचरस्य॥*
*प्रयागे ललितादेवी, नैमिषे लिंगधारिणी*
*प्रयागे ललितादेवी कामाक्षी गंधमादने ।।*
प्रयाग के दक्षिण दिशा में यमुना नदी के निकट मीरापुर मुहल्ले में देवी सती का प्राचीन मंदिर स्थित है जिसे महाशक्ति पीठ के नाम से जाना जाता है। संगम में स्नानोपरांत श्रद्धालु माता के दर्शन करते हैं और वह जो भी मनोकामना करते हैं वह उनकी अवश्य पूरी होती है। ललिता देवी शक्तिपीठ मंदिर में भगवती दुर्गा महाकाली,महालक्ष्मी व महासरस्वती रूप में विराजमान हैं।
मन्दिर में प्रवेश करने पर दिव्य ऊर्जा का अनुभव होता है। मन्दिर के दायीं ओर संकट मोचन हनुमान, श्री राम,लक्ष्मण व माता सीता तथा बायीं तरफ नवग्रह की मूर्तियां हैं। राधा व कृष्ण की मूर्तियां भी यहाँ पर स्थापित हैं जिनका दर्शन अलौकिक सुख देता है
*सर्वभूता यदा देवी स्वर्गमुक्तिप्रदायिनी।*
*त्वं स्तुता स्तुतये का वा भवन्तु परमोक्तयः॥*