अनुपमा शर्मा:-


*भूतधात्री महामाया भैरव: क्षीरकण्टक: ।*
*युगाद्यायां महादेवी दक्षिणागुंष्ठः पदो मम ।।*
माता सती के शक्तिपीठों में से एक शक्तिपीठ युगाद्या (जुगाड्या)भूतधात्री शक्तिपीठ पश्चिम बंगाल के वर्धमान जिले के (खीरग्राम ) क्षीरग्राम में स्थित है। तंत्र चूड़ामणि के अनुसार यहाँ माता सती का दायें पैर का अँगूठा गिरा था। इस शक्तिपीठ की शक्ति हैं युगाद्या या भूतधात्री और शिव को क्षीर कंटक ( क्षीर खण्डक) कहते हैं। क्षीरग्राम की भूतधात्री महामाया के साथ देवी युगाद्या की मूर्ति एक हो गयी है।
पश्चिम बंगाल के वर्धमान जिले के क्षीरग्राम में स्थित है युगाद्या शक्तिपीठ, यहाँ सती के दाहिने चरण का अँगूठा गिरा था। यहाँ की शक्ति जुगाड़या और भैरव क्षीर खंडक है। यहाँ माता सती को “भूतधात्री” तथा भगवन शिव को “क्षीरकंटक” अर्थात “युगाध” कहा जाता है। त्रेता युग में अहिरावण ने पाताल में जिस काली की उपासना की थी, वह युगाद्या ही थीं। कहा जाता है कि अहिरावण की कैद से छुड़ाकर राम-लक्ष्मण को पाताल से लेकर लौटते हुए हनुमान देवी को भी अपने साथ लाए तथा क्षीरग्राम में उन्हें स्थापित किया। क्षीरग्राम की भूतधात्री महामाया के साथ देवी युगाद्या की भद्रकाली मूर्ति एक हो गई और देवी का नाम ‘योगाद्या’ या ‘युगाद्या’ हो गया।
*अचिंत्य रूप चरिते सर्व सौभाग्य दायिनि*
*रुपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि ।।*
त्रेता युग में अहिरावण ने पाताल में जिस काली देवी की आराधना की थी वह शक्ति युगाद्या ही थीं। राम – रावण युद्ध में रावण का पितृ भक्त पुत्र महिरावण भगवान राम व लक्ष्मण को पाताल ले गया। पवन पुत्र बजरंगबली हनुमान ने महिरावण व अहिरावण का सिर काटकर देवी को समर्पित कर दिया। जाते समय देवी हनुमान जी कहा कि मुझे भी अपने साथ ले चलो। अहिरावण की कैद से भगवान राम -लक्ष्मण को पाताल से लेकर आते समय हनुमान जी देवी युगाद्या को भी अपने साथ ले आये तथा उन्हें क्षीरग्राम में स्थापित कर दिया । बाँग्ला के अनेक धर्मग्रंथों में तथा गन्धर्वतन्त्र, साधक चूड़ामणि, शिवचरित्र, तथा कृत्तिवासी रामायण में देवी युगाद्या का वर्णन है । सर्वप्राचीन युगाद्यवंदना कृत्तिवास रामायण के निर्माता पंडित कृत्तिवास द्वारा लिखित है। उन्होंने क्षीरग्राम का बंग्ला रामायण में वर्णन किया है । रामायण में शक्तिपीठ तक जाने के लिए वर्धमान जंक्शन से ४०किलोमीटर दक्षिण-पश्चिम में महाकुमार मंगलकोट थाना अंतर्गत क्षीरग्राम में देवी युगाद्या तक पहुँचा जा सकता है।
*या देवीसर्वभूतेषु क्षमा रूपेण संस्थिता ।*
*नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ।।*
