

अनुपमा शर्मा:-
*कामेश्वंरि जगन्मातः सच्चिदानन्दविग्रहे।*
*गृहाणार्चामिमां प्रीत्या प्रसीद परमेश्वरि॥*
पश्चिमी बंगाल में स्थित किरीट विमला शक्तिपीठ भारत के १०८अज्ञात एव ५१ज्ञात शक्तिपीठों में से एक है। हिन्दू धर्म में यह पहला जागृत शक्तिपीठ माना जाता है। यहाँ की शक्ति (देवी)विमला अथवा भुवनेश्वरी तथा भैरव को संवर्त कहा जाता है ।
पश्चिम बंगाल में स्थित माता सती का किरीट विमला शक्तिपीठ बहुत ही प्रसिद्ध है पश्चिम बंगाल में मुर्शीदाबाद जिला के लालबाग के पास स्थित माता सती के इस पवित्र स्थान को किरीट विमला और माता मुक्तेश्वरी के नाम से भी जाना जाता है।
यहाँ पर इन्हें एक अन्य नाम देवी भुवनेशी के नाम से भी जाना जाता है। यहाँ माता सती का मुकुट गिरा था। किरीट का अर्थ ही सिर का आभूषण या मुकुट होता है। जिससे यहाँ देवी माता सती को विमला के रूप में जाना जाता है।
*अपराधशतं कृत्वा जगदम्बेति चोच्चरेत्।*
*यां गतिं समवाप्नोति न तां ब्रह्मादयः सुराः॥*
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार यहाँ माता सती का ‘किरीट’ अर्थात शिरोभूषण या मुकुट का पतन हुआ था। कुछ विद्वान मुकुट का निपात कानपुर स्थित मुक्तेश्वरी मन्दिर में मानते हैं।
पश्चिम बंगाल में हावड़ा स्टेशन से २.५किलोमीटर आगे लालबाग कोट स्टेशन है, जो हावड़ा -वरहर लाइन पर है वहाँ ५किलोमीटर दूर बड़नगर में हुगली नदी के किनारे पर स्थित यह शक्तिपीठ बड़ा पवित्र है। यह स्थान अब कोलकाता महानगर में स्थित है।
शक्ति का अर्थ माता का वह ज्योतिर्मय रूप जिसकी पूजा व आराधना की जाती है। भैरव का अर्थ यहाँ शिवजी के उस रूप से है जो माता के साथ इस रूप में विराजमान है। इस स्थान को किरीतेश्वरी शक्तिपीठ भी कहते हैं । माता के दर्शन मात्र से सभी मनोरथ पूरे होते हैं। इस।मंदिर।का निर्माण १०००साल पहले हुआ था। ऐसा कहा जाता है कि यह स्थान महामाया का शयन स्थान है। यहाँ के लोग देवी को महिषासुर मर्दिनीकहते हैं। १४०५ में इस मंदिर को विदेशी आक्रमणकारियों ने ध्वस्त कर दिया था। लेकिन १९वीं सदी में लालगोला के राजा ने इसका पुनर्निर्माण करवाया था।
शक्तिस्थल ऐसे स्थान हैं जहाँ सभी की मनोकामना पूरी होती है और यहाँ आत्मा का साक्षात्कार स्वतः ही हो जाता है।
*मन्त्रहीनं क्रियाहीनं भक्तिहीनं सुरेश्वरि।*
*यत्पूजितं मया देवि परिपूर्णं तदस्तु मे॥*