अनुपमा शर्मा :-
*करतोयां समासाद्य त्रिरात्रोपोषितो नर:।*
*अश्वमेधवाप्नोति प्रजापतिकृतो विधि ।।*
करतोयागत स्थित माता अपर्णा शक्तिपीठ 51 शक्ति पीठों में से एक है, करतोयागत शक्तिपीठ बांग्लादेश के करोतोआ के तट पर स्थित है। देवी का बायां आसन या उनके वस्त्र यहाँ गिरे थे और यहाँ देवी अपर्णा और शिव भैरव के रूप में प्रतिष्ठित हैं।
यह शक्तिपीठ बाँग्लादेश के राजशाही डिवीजन में शेरपुर शहर से लगभग 28 किलोमीटर की दूरी पर बोगरा में स्थित है। मंदिर परिसर में लगभग चार एकड़ का क्षेत्र शामिल है। इसमें मुख्य मंदिर, भगवान शिव को समर्पित चार मंदिर और वामन को समर्पित एक पाताल भैरव मंदिर है। इसमें एक बेलबरन ताल, प्रसिद्ध शाखा पुकुर, एक सेवंगन, एक गोपाल मंदिर, एक वासुदेव मंदिर, एक नट मंदिर और सुदूर उत्तर में एक पंचमुंडा आसन मूर्ति भी है।
प्रजापति ब्रह्माजी के अनुसार जो मनुष्य करतोया में जाकर वहाँ तट
पर स्नान कर तीन रात्रि उपवास करेगा, उसे अश्वमेध यज्ञ का फल प्राप्त होगा। पुराणों में इस पावन शक्तिपीठ की महिमा का वर्णन मिलता है। यहाँ के सौ योजन क्षेत्र में मृत्यु की कामना तो मनुष्य ही क्या देवता भी करते हैं।
बाँग्ला देश भारत का ही पूर्वभाग है प्राचीनकाल से ही यह शक्ति उपासना का केंद्र रहा है यहाँ के चट्टल शक्तिपीठ में स्थित शिव मंदिर की तेरहवें ज्योतिर्लिंग के रूप में मान्यता है। तंत्र शास्त्र में इस प्रदेश का विशेष महत्व है।
शक्तिसंगम तंत्र के अनुसार यह क्षेत्र सर्वसिद्ध प्रदायक है–
*इतिहास और महत्व:* सती के आत्मदाह के बाद, जब शिव ने ब्रह्मांड में विनाश का नृत्य शुरू किया, तो भगवान विष्णु ने जले हुए शव पर अपना सुदर्शन चक्र फेंका था। सती के शरीर के विभिन्न अंग भारतीय उपमहाद्वीप के विभिन्न भागों में गिरे थे।
ऐसा कहा जाता है कि सती की बाईं पायल भवानीपुर में गिरी थी, हालांकि कई परस्पर विरोधी सिद्धांत और स्रोत हैं जो कहते हैं कि यह उनकी बाईं पायल नहीं थी बल्कि उनकी दाहिनी आँख या उनकी छाती के बाईं ओर की पसलियां थीं। शक्ति पीठ के रूप में अपनी स्थिति के कारण, भवानीपुर हिंदू तीर्थयात्रियों के लिए एक महत्वपूर्ण स्थल रहा है, चाहे वे किसी भी संप्रदाय के हों। देशभर में 51 शक्तिपीठ हैं, इनमें से 4 को आदि शक्तिपीठ और 18 को महाशक्तिपीठ माना जाता है। अपर्णा देवी मंदिर भवानीपुर
*रत्नाकरं समारभ्य ब्रह्मपुत्रान्तंग शिवे।*
*बंङ्गदेशों मया प्रोक्त: सर्वसिद्ध प्रदर्शक: ।।*
बाँग्लादेश में चार शक्तिपीठों की मान्यता है-
*चट्टलपीठ,करतोयातटपीठ, विभाषपीठतथा सुगन्धापीठ।* करतोयातट शक्तिपीठ प्राचीन बङ्गदेश और कामरूप के सम्मिलन स्थल पर १०० योजन विस्तृत शक्तित्रिकोण के अन्तर्गत आता है।
नवरात्रि में यहाँ कलश पूजा होती है। मंदिर प्रबंध समिति के अनुसार राजा रामकिशन ने १७ वीं और १८वीं शताब्दी के बीच यहाँ ११ मन्दिर बनवाए थे । यह शक्तिपीठ क्षेत्र लगभग ५ एकड़ में फैला है। यहाँ माता के अपर्णा रूप की पूजा होती है। दिन में तीन बार आरती की परम्परा है । सुबह की आरती को बाल्य भोग दोपहर की आरती को अन्नभोग और शाम की आरती को महाभोग कहा जाता है। आम दिनों में यहाँ माता काली की पूजा होती है। मन्दिर के समीप ही शक तालाब है जिसमें स्नान कर दर्शन किया जाता है।
*जय त्वं देवि चामुण्डे जय भूतार्तिहारिणि ।*
*जय सर्वगते देवि कालरात्रि नमोस्तुते।।*