अनुपमा शर्मा:-
*सौभाग्यादि च यत्किञ्चिद् दृश्यते ललनाजने।*
*तत्सर्वं तत्प्रसादेन तेन जप्यमिदम् शुभम्।।*
श्री पर्वत स्थित श्री सुंदरी शक्तिपीठ की हिंदू धर्म में बहुत मान्यता है । इस शक्तिपीठ को इक्यावन शक्तिपीठों में स्थान प्राप्त है । इस स्थान को लेकर विद्वानों में मतभेद है । कुछ विद्वान इसे असम तो कुछ लेह लद्दाख में मानते हैं। मान्यता है इस जगह माता सती के दाहिने पैर की पायल गिरी थी । श्री पर्वत शक्तिपीठ में माता की शक्ति को देवी सुंदरी और भैरव को सुंदरानंद के रूप में पूजा जाता है।
*ऐश्वर्यं तत्प्रसादेन सौभाग्यारोग्यसम्पदः।*
*शत्रुहानिः परो मोक्षः स्तूयते सा न किं जनैः।।*
श्री पर्वत शक्तिपीठ मन्दिर को लेकर यह मान्यता है कि यह अति प्राचीन मंदिर लगभग आठ सौ(८००) साल पुराना है। यहाँ माता काली की विशाल प्रतिमा विराजमान है। यहाँ बड़ी संख्या में श्रद्धालु माता के दर्शन करने के लिये आते हैं। इस मन्दिर में सभी त्यौहार धूमधाम से मनाये जाते हैं ।नवरात्रि का त्यौहार विशेष तौर पर मनाया जाता है। यहाँ का आध्यात्मिक वातावरण दिमाग में शांति प्रदान करता है। शक्तिपीठ के विग्रह के आस – पास व्याप्त प्राकृतिक सुगंध2 भक्तों को मन्त्र – मुग्ध कर देती है।
*समग्राण्यपि सिद्धयन्ति लोकशङ्कामिमां हरः।*
*कृत्वा निमंत्रयामास सर्वमेवमिदं शुभम्।।*
श्री पर्वत शक्तिपीठ तक सड़क मार्ग से जुलाई से लेकर सितम्बर तक महीना ठीक है इसके बाद बर्फ़बारी शुरू हो जाती है जिसकी वजह से मार्ग अवरुद्ध हो जाता है। नज़दीक रेलवे स्टेशन जम्मूतवी है जो लद्दाख से ७०० किमी दूर है। निकटतम हवाई अड्डा लेह में है। इसके बाद की यात्रा भी सड़क मार्ग से पूरी होती है।
*।। जय माँ भगवती।।*