
अनुपमा शर्मा:–
पंजाब राज्य के जालंधर रेलवे स्टेशन से 1 किलोमीटर की दूरी पर माँ त्रिपुरमालिनी का भव्य मंदिर बना है । यह इक्यावन(५१)सिद्ध शक्तिपीठों में से एक है। इस मंदिर को देवी तालाब मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। भगवान विष्णु ने दक्ष यज्ञ में स्वयं को होम करने वाली माता सती के चैतन्य को जब अपने सुदर्शन से काटा तब उनका यहाँ बायाँ स्तन (वक्ष)गिरा था। यहाँ की शक्ति त्रिपुरमालिनी हैं और भैरव ‘भीषण’ हैं। नवरात्रि और भदर्वी पूर्णिमा पर यहाँ माँ त्रिपुरमालिनी का भव्य मेला लगता है जिसमें हजारों की संख्या में माँ के भक्त दर्शन करने आते हैं।
*ॐ श्री दक्षिणामूर्ति – ऋषये नमः –शिरसि । ॐ पंक्तिश्छन्दसे नमः – मुखे ।
ॐ श्रीबाला – त्रिपुर–सुन्दरी– देवतायै नमः –हृदि*
मन्दिर का शिखर सोने का बना है। इतिहासकारों के अनुसार यह 200 साल पुराना है यहाँ माता का स्तन गिरने की वजह से इसे स्तनपीठ भी कहते हैं। यहाँ सिर्फ माता के मुख के दर्शन होते हैं जो धातु से बना हुआ है। माता का स्तन कपड़े से ढँका रहता है। मन्दिर मुख्य गर्भ गृह में माता भगवती के साथ महालक्ष्मी व महासरस्वती भी विराजमान हैं। यह शक्तिपीठ मन्दिर तालाब के बीच में स्थित है । मन्दिर तक पहुँचने के लिये बारह फुट चौड़ा रास्ता है। तालाब में होने की वजह से तालाब देवी मंदिर भी लोग कहते हैं।
मनु ,महर्षि वशिष्ठ, महर्षि व्यास, जमदग्नि , भगवान परशुराम और अन्य महर्षियों ने यहाँ माता त्रिपुरमालिनी की आराधना की थी। भगवान शिव ने यहाँ जालंधर नामक राक्षस का वध किया था इसलिए इस जगह का नाम जालंधर पड़ा।
इस शक्तिपीठ के विषय में कहा गया है कि जिन लोगों की संयोगवश भी यहाँ मृत्यु हो जाती है उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है।


*ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं सौ: ॐ ह्रीं श्रीं क ए ई ल ह्रीं ह स क ह ल ह्रीं सकल ह्रीं सौ: ऐं क्लीं ह्रीं श्रीं नम:।*
इस मंत्र का निरंतर जप करने से माँ की असीम कृपा प्राप्त होती है।यह बहुत गूढ़ मंत्र है।
अगर कोई पशु भी यहाँ प्राण त्याग देता है वह भी सद्गति प्राप्त करता है। यहाँ सभी देवी देवता अंश रूप में विराजमान हैं।