
अनुपमा शर्मा:-
*हार्दपीठस्य सदृशे: नाऽस्ति भूगोल मण्डले“।*
पद्मपुराणानुसार इस हृदयपीठ के समान शक्तिपीठ समस्त ब्रह्माण्ड में अन्यत्र कहीं नहीं है।भारत के प्रमुख इक्यावन(५१)शक्तिपीठों में से एक हृदयपीठ झारखण्ड के गिरिडीह जिले में विराजमान है। जहाँ-जहाँ माता सती के वस्त्र ,आभूषण व अंग गिरे वहाँ-वहाँ पवित्र शक्तिपीठ स्थापित हो गये । हार्द पीठ और भगवान शिव का वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग भी यहीं है। यह स्थान चिताभूमि में है यहाँ माता सती का हृदय गिरा था। यहाँ की शक्ति जयदुर्गा तथा शिव ‘वैद्यनाथ’ हैं। मान्यतानुसार माता सती का दाहसंस्कार भी यहीं हुआ था। देवीभागवत पुराण में वैद्यनाथ धाम को बगुलामुखी माता का उत्कृष्ट स्थान बताया गया है तथा यहाँ की शक्ति को ‘अरोग्य’कहा गया है। मत्स्यपुराण में ‘अरोग्या वैद्यनाये तु’ का प्रमाण मिलता है। जगद्गुरू आदिशंकराचार्य ने वैद्यनाथ को शक्तियुक्त स्थान कहा है।
*पूर्वोत्तरे प्रज्वलिकानिधाने सदा वसंतं गिरिजासमेतम ।
सुरासुराराधिपाद पद्मं श्री वैद्यनाथ तमहं नमामि ।।*
देवघर में वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग के साथ ही यह हार्द शक्तिपीठ भी विराजित है। भगवान शिव तथा माता सती के ऐक्य का प्रतीक यह स्थान बड़ा पवित्र है क्योंकि ज्योतिर्लिंग के साथ ही यहाँ शक्तिपीठ है ये अद्भुत संयोग इसे सबसे अलग व महिमामण्डित करता है। देवघर में माता काली व महाकाल शिव के महत्व का वर्णन पद्म पुराण के पाताल काण्ड में भी किया गया है।
*नमो देव्यै महादेव्यै शिवायै सततं नमः
नमः प्रकृत्यै भद्रायै नियता: प्रणता:स्मताम् ।।*

