सपना चंद्रा:-
किसी देश में एक चतुर परंतू मूर्ख राजा हुआ करता। वह अपने हाव-भाव से अच्छे-अच्छे को मात दे देता।
जब दरबार सजती तो दरबारियों की भीड़ बहुत लाजिमी थी। राजा को अपने राजा होने का दंभ सीना चौड़ा कर देता।
जी हुजूरी राजा को बहुत पसंद थी।जयघोष करती जनता राजा को मदमस्त कर देती। वह खुश हो जाता।
राजा को एक डर हरदम खाए रहता कहीं उसका पोल खुल न जाए। अपने गुप्तचरों से उसने अपने खिलाफ बोलने वालों का पता लगाने के लिए कहता।
जो कहते पकड़ा जाता उसे दंड स्वरुप कालकोठरी की सजा मिलती।
गुप्तचर ईमानदार कर्मचारी की तरह दिन-रात काम करते रहते। गुप्तचरों को अच्छे पद का लालच बाँध रखा था।
जनता के बीच ईश्वर के चरणों में अर्पित किया हुआ मिश्री की डली बाँटी जाती। उन्हें विश्वास दिलाया जाता कि धर्म ही सर्वोपरि है।
सारे दुख ईश्वर के नाम लेने भर से दूर हो जाते हैं और जनता अपने राजा को ईश्वर का दूत कहती।
(कहलगांव, भागलपुर, बिहार)