
ब्रजेश वर्मा:-
(दुमका): भारतीय जनता पार्टी इस बार के लोकसभा चुनाव में 400 सीट पार करने के लक्ष्य को पूरा करने के लिए बेदर्दी से अपने सीटिंग एम पी का टिकट काट रही है। दुमका लोकसभा सीट इसका एक बड़ा उदाहरण है।
पार्टी ने रविवार देर शाम दुमका सीट से पूर्व में घोषित सीटिंग एमपी सुनील सोरेन के नाम को हटाकर उनके स्थान पर पिछले सप्ताह ही झारखंड मुक्ति मोर्चा से भाजपा में शामिल हुई सीता सोरेन के नाम की घोषणा कर दी।
सीता सोरेन झारखंड मुक्ति मोर्चा के सुप्रीमो शिबू सोरेन की पुत्रवधु हैं और उनका भाजपा में शामिल होने के पूर्व इस दल से दूर दूर का कोई रिश्ता नहीं था।
मजेदार बात है कि 2005 से पहले सुनील सोरेन भी झारखंड मुक्ति मोर्चा से भाजपा में शामिल हुए थे। उन दिनों सुनील सोरेन दुमका जिले के जामा ब्लॉक में मुक्ति मोर्चा के एक छोटे से कार्यकर्ता थे। किंतु भाजपा ने उन्हें जामा विधानसभा से टिकट देकर शिबू सोरेन के बड़े बेटे दुर्गा सोरेन को पराजित करवा दिया। सीता सोरेन अपने पति के निधन के बाद 2009 में जामा से मुक्ति मोर्चा के टिकट पर खड़ी हुई और सुनील सोरेन को पराजित कर दिया।
इसके बाद भाजपा ने तीन बार सुनील सोरेन को दुमका लोक सभा सीट से शिबू सोरेन के खिलाफ चुनाव लड़वाया, जिनमें दो बार तो वह असफल रहे, किंतु तीसरी बार 2019 में उन्होंने शिबू सोरेन को पराजित कर दिया।
सीता सोरेन के अचानक से पिछले सप्ताह भाजपा में शामिल होने के पहले दुमका लोकसभा सीट पर भाजपा के लिए कोई हिचकिचाहट नहीं थी। पार्टी ने चुनाव घोषणा के साथ ही सुनील सोरेन के नाम का एलान कर दिया।
दुमका लोकसभा में मतदान अंतिम चरण में 1 जून को होना है। इस बीच पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की जमीन घोटाले में हुई गिरफ्तारी के बाद झारखंड की राजनीति में अचानक से आए बदलाव के बीच सीता सोरेन भाजपा में शामिल हो गईं। हेमंत सोरेन भी शिबू सोरेन के पुत्र हैं और सीता सोरेन उनकी भाभी लगती हैं।
यह बात तो तय है कि सीता सोरेन ने तीर छोड़कर कमल को पकड़ने के पूर्व भाजपा से कोई समझौता जरूर किया होगा, जिसका परिणाम सुनील सोरेन के टिकट के कट जाने में देखा जा सकता है।
हालाकि अभी तक झारखंड मुक्ति मोर्चा ने दुमका से अपने उम्मीदवार की घोषणा नही की है।
सूत्रों के अनुसार भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे पी नड्डा ने अचानक से सुनील सोरेन को दिल्ली तलब किया और फिर दुमका सीट पर उनकी जगह सीता सोरेन के नाम की घोषणा कर दी गई।
सुनील सोरेन ने अपने को पार्टी का एक कर्तव्यनिष्ठ कार्यकर्ता बताते हुए इस फैसले का स्वागत किया है।
सवाल खड़ा होता है कि सीता सोरेन के पास दुमका में एक भी भाजपा कार्यकर्ता नहीं है, तो फिर पार्टी ने इतना बड़ा फैसला लेकर एक दाव ही खेला है।