रेखा शाह आरबी:-
अपने देश में चुनाव के साथ ही बहुत कुछ आता है। बहुत कुछ से तात्पर्य है वादे- इरादे ,झूठ- सच, छल- कपट और साथ ही निष्ठाओं की बाढ़ आ जाती है । कोई नेता अच्छा भला रात को खा पीकर चैन से सोता है । अपनी पार्टी के लिए अच्छी-अच्छी बातें योजनाऐ सोच कर सोता है ।उस समय उसकी निष्ठा पूरी तरह उसकी पार्टी को समर्पित होती है। और सुबह उठता है तो उसकी निष्ठा कहीं और के लिए फुरर हो जाती है। बता दे हिंदू दर्शन में निष्ठा का अर्थ है। बहुत समर्पित, विश्वासी ,भक्त व्यक्ति से है। सोचिए रातों-रात यह फुदक कर और कहीं फुर्र हो जाती है। आजकल की निष्ठाओं के पंख होते हैं। जहां उड़ने को आकाश मिला वहीं पर उड़ जाते हैं।
मांगी लाल क्षेत्र के लोगों के लिए के अपने नेता हैं। उनकी पहुंच ऊपर से नीचे तक सिस्टम में है। और सिस्टम में पहुंच होने का मतलब है छोटे-मोटे कर्मकांड में पुलिस का आंख मूंद लेना या छूने की हिमाकत न करना । मांगीलाल दरिया दिल इंसान है उनके ही दम से उनको जानने वाले वाले रंगबाजी बतियाते हैं । अर्थात मांगीलाल पूरे जमीन स्तर के नेता हैं। और एक तरह से देखा जाए तो सारे उनके समर्थक है । मांगीलाल चुनाव में उठने वाले थे और अपनी अलाना पार्टी के लिए घनघोर प्रचार कर रहे थे । मांगीलाल की निष्ठाएं अपनी पार्टी के लिए एकदम समर्पित थी। उनसे ज्यादा समर्पित कार्यकर्ता पूरी पार्टी में नहीं था। उनकी पार्टी भक्ति पर रत्ती मात्र संदेह की गुंजाइश नहीं थी। अपनी पार्टी की तरफ से घूम घूम कर बहुत सारे वादे सपने जनता को दिखा दिए थे।
उस दिन भी दिन भर प्रचार किया और शाम को घर आए और सोने चले गए । पता नहीं रातों-रात कौन से ग्रह नक्षत्र बदले, क्या हुआ। अगले दिन उनकी निष्ठा है फलाना पार्टी के लिए समर्पित हो गई। वहां से टिकट भी मिल गया। माल वही था बस रैपर बदल गया। कंपनी की क्वालिटी बदल गई। मांगीलाल की निष्ठाएं बहुत फुर्तीली निकली।