कंचन:
आज की हलचल भरी जिंदगी में मन की स्थिरता के लिए योग और ध्यान ही एकमात्र उपाय है। यह हमें शांत और स्थिर रख सकता है। फिर जहां शांति है, वहीं सुख है।
तो, अपनी खुशी के लिए योग करना जरूरी है। योग द्वारा हम अपने वास्तविक रूप को पा सकते हैं। और प्रत्येक मनुष्य का वास्तविक स्वरूप है- प्रेम, पवित्रता, शांति, शक्ति, आनंद, ज्ञान, खुशी।
किंतु इसके ऊपर आज क्रोध, अहंकार, तृष्णा, घृणा और जलन आदि की काली परत जम गई है। इसे योग भट्ठी में तपकर हटाया जा सकता है।
मन के अंदर चेतन और अवचेतन मन होता है।जब हम जागृत अवस्था में रहते हैं तो चेतन मन से प्रभावित रहते हैं। पर अवचेतन मन नींद, अर्धनिद्रा, विश्राम में और खासकर ब्रह्म मुहूर्त में जागृत रहते हैं।
ये बुद्धि से नहीं भावना से निकलते हैं। इस अवचेतन मन से योग द्वारा अपने को वास्तविक स्वरूप में लाना ज्यादा सहज है। दिन भर में जब भी मौका मिले हर एक घंटे में एक मिनट के लिए भी मन को शांत कर ब्रह्मांड की परम शक्ति से योग लगाकर उनसे प्रेम, शांति, सबों की खुशी अपने मन में भरकर उससे भरपूर होकर दूसरों को भी इन गुणों से भरने में मदद करें।
यही योग का अर्थ है।